श्री कैला देवी चालीसा – Shri Kaila Devi Chalisa

भगवान कृष्ण जन्म कथा के अनुसार जब कंस ने माता देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया था तब 7 संतान को खत्म करने के बाद माता देवकी और वासुदेव को संतान के रूप में पुत्री हुई, जब यह बात कंस को पता चला तो उसने उसे भी खत्म करने का सोचा मगर जैसे ही कंस ने बालिका को अपने हाथ में लिया वह उसके हाथ से छूट कर देवी आदि शक्ति के रूप में वहाँ प्रकट हुई और उन्होंने कहा कि अब तुम्हारा अंत निकट है! कंस और यह कहने के बाद गायब हो गयी। यही देवी माता कैला देवी के रूप में पूजी जाती है। राजस्थान के करौली जिले में स्थित माता कैला देवी का दरबार चैत्र के महीने में एक तीर्थ स्थान के तौर पर देखा जाता है।

कैला माता को अंजना माता का अवतार भी माना गया है भक्त इनकी सच्ची मन और श्रद्धा से पूजन अर्चना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार माँ कैला देवी बहुत ही दयालु देवी-देवी है और जो भक्त उनको पूरे सच्चे मन से पूजता है वह उनके मन की सारे मुरादों को पूरा करती है तथा उनके जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधाएँ दूर करती हैं। माता कैला देवी चालीसा (Kaila Devi Chalisa) को भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, उनके चालीसा के पाठ के कई लाभ है जो भक्तों के जीवन को खुशहाल बनाता हैं।

श्री कैला देवी चालीसा - Shri Kaila Devi Chalisa

श्री कैला देवी चालीसा (Shri Kaila Devi Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

जय जय कैला मात हे, तुम्हे नमाउ माथ ।
शरण पडूं में चरण में, जोडूं दोनों हाथ ॥

आप जानी जान हो, मैं माता अंजान ।
क्षमा भूल मेरी करो, करूँ तेरा गुणगान ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय कैला महारानी ।
नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥

सब जग की हो भाग्य विधाता ।
आदि शक्ति तू सबकी माता ॥

दोनों बहिना सबसे न्यारी ।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ॥

शोभा सदन सकल गुणखानी ।
वैद पुराणन माँही बखानी ॥4॥

जय हो मात करौली वाली ।
शत प्रणाम कालीसिल वाली ॥

ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी ।
हिंगलाज में तू महतारी ॥

तू ही नई सैमरी वाली ।
तू चामुंडा तू कंकाली ॥

नगर कोट में तू ही विराजे ।
विंध्यांचल में तू ही राजै ॥8॥

धौलागढ़ बेलौन तू माता ।
वैष्णवदेवी जग विख्याता ॥

नव दुर्गा तू मात भवानी ।
चामुंडा मंशा कल्याणी ॥

जय जय सूये चोले वाली ।
जय काली कलकत्ते वाली ॥

तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी ।
पार्वती तू ही इन्द्राणी ॥12॥

सरस्वती तू विद्या दाता ।
तू ही है संतोषी माता ॥

अन्नपुर्णा तू जग पालक ।
मात पिता तू ही हम बालक ॥

तू राधा तू सावित्री ।
तारा मतंग्डिंग गायत्री ॥

तू ही आदि सुंदरी अम्बा ।
मात चर्चिका हे जगदम्बा ॥16॥

एक हाथ में खप्पर राजै ।
दूजे हाथ त्रिशूल विराजै ॥

कालीसिल पै दानव मारे ।
राजा नल के कारज सारे ॥

शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी ।
महिषासुर को मारनवारी ॥

रक्तबीज रण बीच पछारो ।
शंखासुर तैने संहारो ॥20॥

ऊँचे नीचे पर्वत वारी ।
करती माता सिंह सवारी ॥

ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे ।
तीन लोक में यश फैलावे ॥

अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै ।
चाँदी के चौतरा विराजै ॥

लांगुर घटूअन चलै भवन में ।
मात राज तेरौ त्रिभुवन में ॥24॥

घनन घनन घन घंटा बाजत ।
ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत ॥

अगनित दीप जले मंदिर में ।
ज्योति जले तेरी घर-घर में ॥

चौसठ जोगिन आंगन नाचत ।
बामन भैरों अस्तुति गावत ॥

देव दनुज गन्धर्व व किन्नर ।
भूत पिशाच नाग नारी नर ॥28॥

सब मिल माता तोय मनावे ।
रात दिन तेरे गुण गावे ॥

जो तेरा बोले जयकारा ।
होय मात उसका निस्तारा ॥

मना मनौती आकर घर सै ।
जात लगा जो तोंकू परसै ॥

ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे ।
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै ॥32॥

हलुआ पूरी भोग लगावै ।
रोली मेहंदी फूल चढ़ावे ॥

जो लांगुरिया गोद खिलावै ।
धन बल विद्या बुद्धि पावै ॥

जो माँ को जागरण करावै ।
चाँदी को सिर छत्र धरावै ॥

जीवन भर सारे सुख पावै ।
यश गौरव दुनिया में छावै ॥36॥

जो भभूत मस्तक पै लगावे ।
भूत-प्रेत न वाय सतावै ॥

जो कैला चालीसा पढ़ता।
नित्य नियम से इसे सुमरता ॥

मन वांछित वह फल को पाता ।
दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता ॥

गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी ।
रक्षा कर कैला महतारी ॥40॥

॥ दोहा ॥

संवत तत्व गुण नभ, भुज सुन्दर रविवार ।
पौष सुदी दौज शुभ, पूर्ण भयो यह कार ॥

॥ इति कैला देवी चालीसा समाप्त ॥

कैला देवी चालीसा पढ़ने की विधि

कैला देवी चालीसा (Kaila Devi Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • श्री कैला देवी के चालीसा का पाठ करने के लिए स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थान पर एक छोटी-सी चौकी लगा दें, उस चौकी पर लाल या पीले रंग की कोई वस्त्र बिछा दे और उस पर माता कैला देवी के चित्र या मूर्ति को स्थापित करें।
  • माता को लाल या पीले फूल अर्पित करें और शृंगार के रूप में सिंदूर अथवा चूड़ी भी आप चढ़ा सकते हैं।
  • इसके बाद माँ को धूप या अगरबत्ती दिखाएँ और घी का दिया प्रज्वलित करें।
  • सच्चे मन से माँ का आह्वान करें और उनसे प्रार्थना करने के पश्चात कोई भी मीठे का भोग लगा दें।
  • माता से प्रार्थना के बाद चालीसा का पाठ करें और अंत में अपनी मनोकामना माता से व्यक्त करें।
  • आरती कर के अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।

श्री कैला देवी चालीसा का महत्त्व

श्री कृष्णा और अपनी महिमाओं के कारण माता कैला देवी को हिंदू धर्म में एक बहुत ही विशेष स्थान प्राप्त है उनके पूजा अर्चना से भक्त के जीवन की सारी तकलीफों का अंत होता है श्री कैला देवी चालीसा (Kaila Devi Chalisa) का पाठ भक्तों के मन में माता कैला देवी के लिए एक विशेष भाव लाता है जिससे उसे यह समझ में आता है कि अगर माँ की कृपा साथ रहे तो कुछ भी असंभव और अप्राप्य नहीं होता। माता कैला देवी के दिव्य चरित्र होने के कारण उनके बस चालीसा के पाठ से भक्त सभी प्रकार की त्रुटियाँ से दूर हो जाते है। माता कैला देवी के चालीसा को पढ़ने वाला व्यक्ति को कभी भी बुरी शक्तियों नुकसान नहीं पहुँचा सकती और उसकी सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

श्री कैला देवी चालीसा के लाभ

माता कैला देवी के चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति हर तरह की सांसारिक मोह माया से छुटकारा पता है और अपने कर्म पथ पर बढ़ते चला जाता है।

जो व्यक्ति इस चालीसा का पाठ करता है वह भवसागर से पार उतरकर मोक्ष प्राप्त करता है और माता के चरणों में स्थान पता है।

माता कैला देवी के चालीसा को पढ़ने वाला व्यक्ति किसी भी तरह की भूत प्रेत बाधा में नहीं फसता और उसके जीवन की पवित्रता और सकारात्मक बने रहती है।

माता रानी के चालीसा को पढ़ने से भक्त हर काम में सफल होता है और ऐसी बीमारी जिसमें दवा असर न करें उनके ही चालीसा को पढ़ने से खत्म हो जाती है।

इस चालीसा के नियमित जप से आपको मानसिक शांति मिलती हैं और आपके जीवन से बुराई दूर रहेगी तथा आप स्वस्थ, भाग्यशाली और समृद्ध बनेंगे।

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