Shri Radha Chalisa l श्री राधा चालीसा | एक अद्वितीय उपासना का माध्यम

राधा रानी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना गया है। राधा रानी और श्री कृष्ण के बीच के प्रेम की चर्चा आज के युग में भी की जाती है, क्योंकि राधा रानी का नाम लेने से भगवान कृष्ण के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। राधा रानी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाये जाते हैं-कुछ उनकी पूजा करते हैं, अन्य भजन करते हैं या उनके चालीस का जाप करते हैं।

राधा रानी के चालीस का पाठ करने से सुख, शांति और समृद्धि मिलती है। राधा चालीसा (Radha Chalisa) के पाठ करने से हमारे घरों में प्रेम का माहौल बन जाता है और हम पर भगवान कृष्ण की कृपा होती हैं। राधा रानी और भगवान कृष्ण की निरंतर कृपा के लिए राधा रानी के चालीस श्लोकों का पाठ करना अति उत्तम माना गया है, क्योंकि इससे उत्तम लाभ होता है और भक्त की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

Radha Chalisa Lyrics
Source: herzindagi.info

श्री राधा चालीसा (Shri Radha Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

श्री राधे वुषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी, प्रानावौ बारम्बार ॥

जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिया सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये, सुन्दर सुखद ललाम ॥

॥ चौपाई ॥

जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिणी श्याम अधर ।
अमित बोध मंगल दातार ॥

रास विहारिणी रस विस्तारिन ।
सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्राण धन अति जिया भोरी ॥

करुना सागरी हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियाँ की संगनी ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिणी ।
कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सवानी ॥

नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावें ।
श्री राधा राधा कही हर्शवाहीं ॥

मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धरें ॥

प्रेमा स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिय वृषभानु दुलारी ॥

नावाला किशोरी अति चाबी धामा ।
द्युति लघु लाग कोटि रति कामा ॥10

गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभाग चपल अनियारे नैना ॥

जावक यूथ पद पंकज चरण ।
नूपुर ध्वनी प्रीतम मन हारना ॥

सन्तता सहचरी सेवा करहीं ।
महा मोड़ मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्रण अधर ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूप ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ॥

उप्जेऊ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा राम ब्रह्मणि ॥

नित्य धाम गोलोक बिहारिनी ।
जन रक्षक दुःख दोष नासवानी ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पायं सेष अरु शरद ॥

राधा शुभ गुण रूपा उजारी ।
निरखि प्रसन्ना हॉट बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जय बखानी ॥ 20

प्रीतम संग दिए गल बाहीं ।
बिहारता नित वृन्दावन माहीं ॥

राधा कृष्ण कृष्ण है राधा ।
एक रूप दौऊ -प्रीती अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख प्रदा प्रफुल्लित बदानी ॥

कोटिक रूप धरे नन्द नंदा ।
दरश कारन हित गोकुल चंदा ॥

रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करो जब अति दुःख पावें ॥

प्रफ्फुल्लित होठ दरश जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्दरंन्य विहारिन्नी श्याम ।
नाम लेथ पूरण सब कम ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करुहू ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥

तू न श्याम भक्ताही अपनावें ।
जब लगी नाम न राधा गावें ॥

वृंदा विपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तुवा अमित अगाध ॥ 30

स्वयं कृष्ण नहीं पावहीं पारा ।
और तुम्हें को जननी हारा ॥

श्रीराधा रस प्रीती अभेद ।
सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं ।
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ॥

कीरति कुमारी लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भाव बड़ा ॥

नाम अमंगल मूल नासवानी ।
विविध ताप हर हरी मन भवानी ॥

राधा नाम ले जो कोई ।
सहजही दामोदर वश होई ॥

राधा नाम परम सुखदायी ।
सहजहिं कृपा करें यदुराई ॥

यदुपति नंदन पीछे फिरिहैन ।
जो कौउ राधा नाम सुमिरिहैन ॥

रास विहारिणी श्यामा प्यारी ।
करुहू कृपा बरसाने वारि ॥

वृन्दावन है शरण तुम्हारी ।
जय जय जय व्र्शभाणु दुलारी ॥ 40

॥ दोहा ॥

श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै, श्री वृन्दावन धाम ॥

॥ इति श्री राधा चालीसा ॥

राधा चालीसा पढ़ने की विधि

राधा चालीसा (Radha Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • श्री राधा चालीसा के पाठ करने के लिए बुधवार के दिन स्नान कर पूजा स्थान के सफाई करे।
  • सफाई के बाद राधा रानी और भगवान कृष्ण की एक साथ वाली मूर्ति या चित्र स्थापित करे।
  • आसन बिछा के बैठ जाए और चित्र के सामने एक घी का दिया जला दे।
  • उसके बाद राधारानी और भगवान कृष्ण को फूल और प्रसाद अर्पित करके धूप या अगरबत्ती दिखाये।
  • फिर श्री कृष्ण को याद करके श्री राधा चालीसा का पाठ शुरू करें, अगर संभव हो तो दोहो को उनके अर्थ के साथ पढ़े।
  • पाठ करने के बाद श्री कृष्ण और श्रीजी के चरणों में प्रणाम करें और प्रसाद खुद ग्रहण करके दूसरों में भी बाटे।

राधा चालीसा का महत्त्व

श्री राधा चालीसा (Radha Chalisa) का पाठ करने से श्री कृष्ण की परम भक्त, श्री राधा रानी, के प्रति भक्ति बढ़ती है। श्री राधा चालीसा में राधा रानी की महिमा का ऊलेख है, जिसके के जप से भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है। ये चालीसा राधा कृष्ण की प्रेम कथा को याद करने और उनके अदभुत भक्ति रस को अनुभव और पाने का उत्तम माध्यम है। श्री राधा चालीसा के पाठ से वचन और कर्म में प्रेम भाव की उत्तपति होती है और भक्त अपने भाग्य में प्रेम और शांति का अनुभव करता है।

राधा चालीसा से होने वाले लाभ

राधा चालीसा (Radha Chalisa) का पाठ करने के लाभ:

  • श्री राधा चालीसा का पाठ करने से भक्त की भक्ती बढ़ती हैं और वह राधा रानी और श्री कृष्ण के प्रति आकर्षित होते है।
  • चालीसा के माध्यम से भक्त राधा जी और श्री कृष्ण के अंततः प्रेम को याद करते है और उनसे सीख लेते है कि प्रेम से हर काम सफल होता है।
  • श्री राधा चालीसा के नियमित पाठ से श्री जी की कृपा उनपे बनी रहती है जिससे उनके जीवन में सुख और समृद्ध आती है और भक्त एक तरह का मा‌नसिक शांति अनुभव करते है।
  • श्री राधा रानी की कृपा और चालीसा के पाठ से भक्त कुकर्मो से बचकर सत्यता की मार्ग चुनता है और उसके जीवन में संतुलन और सकारात्मकता बनी रहती हैं।
  • राधा रानी की चालीसा को पाठ से भक्त की सभी तरह की परेशानियाँ खत्म होती है और उनके धार्मिक जीवन उन्नति की ओर बढ़ता है।

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