Shri Adinath Chalisa | श्री आदिनाथ चालीसा

भगवान आदिनाथ या ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हुए। जो तीर्थ की रचना करें या जो जन्म मरन के चक्र से मुक्त हो उसे हम तीर्थंकर कहते हैं। भगवान आदिनाथ हुडावसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर थे। उनका जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। जैन पुरणों के अनुसार राजा नबीराज और महारानी मरु देवी के पुत्र आदिनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या में चैत कृष्णा नवमी के दिन हुआ था।

जैन पुराण साहित्य के अनुसार 6 कलाएँ होती है जिनमें से असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प, और कला का उपदेश भगवान आदिनाथ ने ही दिया है। ग्रंथ के अनुसार 1000 वर्ष तपस्या के पश्चात भगवान आदिनाथ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान आदिनाथ के प्रथम पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर ही भारत देश का नाम पड़ा था। भगवान आदिनाथ की महिमा शिव पुराणों में भी उल्लेखित है जिस वजह से उन्हें भगवान शिव के भी अवतार में संस्तवन किया गया जाता है। श्री आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa) का पाठ करना उत्तम माना गया है।

Shri Adinath Chalisa

श्री आदिनाथ चालीसा (Shri Adinath Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम ॥

सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
आदिनाथ भगवान को, मन मन्दिर में धार ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय आदिनाथ जिन के स्वामी, तीनकाल तिहूं जग में नामी।
वेष दिगम्बर धार रहे हो, कर्मों को तुम मार रहे हो ॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो, सारी दुनिया को पहचानो ।
नगर अयोध्या जो कहलाये, राजा नभिराज बतलाये ॥

मरूदेवी माता के उदर से, चैतबदी नवमी को जन्मे ।
तुमने जग को ज्ञान सिखाया, कर्मभूमी का बीज उपाया ॥

कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने, जनता आई दुखडा कहने ।
सब का संशय तभी भगाया, सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ॥

खेती करना भी सिखलाया, न्याय दण्ड आदिक समझाया ।
तुमने राज किया नीती का सबक आपसे जग ने सीखा ॥

पुत्र आपका भरत बतलाया, चक्रवर्ती जग में कहलाया ।
बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे, भरत से पहले मोक्ष सिधारे ॥

सुता आपकी दो बतलाई, ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ।
उनको भी विध्या सिखलाई, अक्षर और गिनती बतलाई ॥

इक दिन राज सभा के अंदर, एक अप्सरा नाच रही थी ।
आयु बहुत बहुत अल्प थी, इस लिय आगे नही नाच सकी थी ॥

विलय हो गया उसका सत्वर, झट आया वैराग्य उमड़ कर ।
बेटों को झट पास बुलाया, राज पाट सब में बटवाया ॥

छोड़ सभी झंझट संसारी, वन जाने की करी तैयारी ।
राजा हजारो साथ सिधाए, राजपाट तज वन को धाये ॥

लेकिन जब तुमने तप कीना, सबने अपना रस्ता लीना ।
वेष दिगम्बर तज कर सबने, छाल आदि के कपडे पहने ॥

भूख प्यास से जब घबराये, फल आदिक खा भूख मिटाये ।
तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये, जो जब दुनिया में दिखलाये ॥

छः महिने तक ध्यान लगाये, फिर भोजन करने को धाये ।
भोजन विधि जाने न कोय, कैसे प्रभु का भोजन होय ॥

इसी तरह चलते चलते, छः महिने भोजन को बीते ।
नगर हस्तिनापुर में आये, राजा सोम श्रेयांस बताए ॥

याद तभी पिछला भव आया, तुमको फौरन ही पडगाया ।
रस गन्ने का तुमने पाया, दुनिया को उपदेश सुनाया ॥

तप कर केवल ज्ञान पाया, मोक्ष गए सब जग हर्षाया ।
अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर, चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ॥

उसको यह अतिशय बतलाया, कष्ट क्लेश का होय सफाया ।
मानतुंग पर दया दिखाई, जंजिरे सब काट गिराई ॥

राजसभा में मान बढाया, जैन धर्म जग में फैलाया ।
मुझ पर भी महिमा दिखलाओ, कष्ट भक्त का दूर भगाओ ॥

॥ सोरठा ॥

पाठ करे चालीस दिन, नित चालीस ही बार,
चांदखेड़ी में आयके, खेवे धूप अपार ।

जन्म दरिद्री होय जो, होय कुबेर समान,
नाम वंश जग में चले, जिसके नही संतान ॥

॥ इति श्री आदिनाथ चालीसा समाप्त ॥

श्री आदिनाथ चालीसा पढ़ने की विधि

श्री आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa) का पाठ करने के लिए आपको किसी भी खास विधि का पालन नहीं करना पड़ता। सुबह स्नान आदि से मुक्त होकर स्वच्छ स्थान पर आसनी बिछा कर बैठ जाइए। अगर आपके पास श्री आदिनाथ भगवान का चित्र उपलब्ध है तो उसे सामने स्थापित कर ले नहीं तो आप उन्हें मन से याद कर सकते हैं। इसके बाद सुगंधित अगरबत्ती या धूप जलाकर वातावरण को शांत एवं स्वच्छ करें। हो सके तो अर्थ सहित आदिनाथ चालीसा का पाठ करें। चालीसा के समाप्त होने के बाद भगवान आदिनाथ को मन से याद कर उनके आशीर्वाद की कामना करें।

श्री आदिनाथ चालीसा का महत्त्व

श्री आदिनाथ चालीसा(Adinath Chalisa) को पढ़ना इतना महत्त्वपूर्ण माना गया है कि उसे पढ़ने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की उन्नति होती है और उसके जीवन के सभी प्रकार के दुख और तकलीफ दूर हो जाते हैं। साधु और संत होने के कारण इन्होंने जगह-जगह पर अपनी सीख दी और जैन धर्म को आगे बढ़ाया। इनके चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति को सद्बुद्धि मिलती है एवं उनके ज्ञान में वृद्धि होती है। श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ इतना फलदाई है कि इससे बुद्धिहीन व्यक्ति का भी मानसिक विकास हो जाता है। श्री आदिनाथ भगवान अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा उन पर सदैव बनाए रखते हैं।

श्री आदिनाथ चालीसा के लाभ

जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य को पालन करता है श्री आदिनाथ चालीसा (Adinath Chalisa) को पढ़ने से उसका ब्रह्मचर्य हमेशा बना रहता है और वह सदा धर्म मार्ग को चुनता है।

श्री आदिनाथ के चालीसा के पाठ से संत साधु भक्त जैसे लोग मोह माया से दूर होते हैं और उन्हें गृहस्थ जीवन त्याग करने में आसानी होती है।

इसके पाठ से भक्त के जीवन से दरिद्रता दूर होती है एवं उनके जीवन में हमेशा धन, संपदा और ठहराव की स्थिति बनती है। व्यक्ति मानसिक रूप से भी मजबूत बनता है और वह लाभ हानि से ऊपर उठकर सच्चाई एवं नीति का मार्ग चुनता है।

इस चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति स्वालंबी एवं मेहनती बनता है तथा हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहता है।

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