आदिशक्ति के रूप में पूजे जाने वाली माँ ललिता जिन्हें राजेश्वरी, त्रिपुरा सुंदरी और कामाक्षी के भी रूप में जाना जाता है, वह माता दुर्गा, पार्वती और काली की तरह शक्ति को प्रमाणित करती है। माँ ललिता को 10 महाविद्याओं में से एक अहम देवी का स्थान प्राप्त है। त्रिपुरा सुंदरी जो की माँ ललिता का दूसरा नाम है उसका अर्थ है तीनों लोकों में सबसे खूबसूरत महिला। माता ललिता को राक्षसों और दैत्य की संघार के लिए खुद भगवान शिव और विष्णु से कृपा प्राप्ति है।
ब्रह्मांड पुराण के अनुसार माता ललिता भगवान विष्णु और शिव के ऊपर शासन करने वाली सर्वोत्तम देवी मानी गई है। ऐसी महान देवी के रूप में पूजे जाने वाली माता ललिता के आशीर्वाद और कृपा से भक्त के जीवन से हर प्रकार की बुराइयों और नकारात्मक ऊर्जाओं की समाप्ति होती है। माता ललिता को बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा अर्चना और ललिता चालीसा (Lalita Chalisa) को पढ़ना बहुत ही शुभ माना गया है।
श्री ललिता चालीसा (Shri Lalita Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ चौपाई ॥
जयति जयति जय ललिते माता, तब गुण महिमा है विख्याता।
तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा।
हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल हारिणी।
दश विद्या है रूप तुम्हारा, श्री चन्द्रेश्वरि! नैमिष प्यारा।
धूमा, बगला, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।
षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी, ललिते! शक्ति तुम्हारी संगी।
ललिते तुम हो ज्योतित भाला, भक्त जनों का काम संभाला।
भारी संकट जब-जब आये, उनसे तुमने भक्त बचाये।
जिसने कृपा तुम्हारी पाई, उसकी सब विधि से बन आई।
संकट दूर करो माँ भारी, भक्तजनों को आस तुम्हारी।
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी, जय जय जय शिव की महारानी।
योग सिद्धि पावें सब योगी, भोगे भोग, महा सुख भोगी।
कृपा तुम्हारी पाके माता, जीवन सुखमय है बन जाता।
दुखियों को तुमने अपनाया, महामूढ़ जो शरण न आया।
तुमने जिसकी ओर निहारा, मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा।
आदि शक्ति जय त्रिपुर-प्यारी, महाशक्ति जय जय भयहारी।
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा, लीला ललिते करें अनूपा।
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे, त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।
महा महानन्दे, कल्याणी, मूकों को देती हो वाणी।
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी, होता तब सेवा अनुरागी।
जो ललिते तेरा गुण गावे, उसे न कोई कष्ट सतावे।
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी, तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी।
आया माँ जो शरण तुम्हारी, विपदा हरी उसी की सारी।
नामा-कर्षिणी, चित्त-कर्षिणी, सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।
महिमा तब सब जग विख्याता, तुम हो दयामयी जगमाता।
सब सौभाग्य-दायिनी ललिता, तुम हो सुखदा करुणा कलिता।
आनन्द, सुख, सम्पति देती हो, कष्ट भयानक हर लेती हो।
मन से जो जन तुमको ध्यावे, वह तुरन्त मनवांछित पावे।
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली, तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।
मूलाधार निवासिनी जय-जय, सहस्रार गामिनी माँ जय-जय।
छः चक्रों को भेदने वाली, करती हो सबकी रखवाली।
योगी भोगी क्रोधी कामी, सब हैं सेवक सब अनुगामी।
सबको पार लगाती हो माँ, सब पर दया दिखाती हो माँ।
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी, भण्डासुर का, हृदय विदारिणी।
सर्व विपति हर, सर्वाधारे, तुमने कुटिल कुपंथी तारे।
चन्द्र-धारणी, नैमिषवासिनी, कृपा करो ललिते अघनाशिनी।
भक्तजनों को दरस दिखाओ, संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा, होवे सुख आनन्द अधीसा।
जिस पर कोई संकट आवे, पाठ करे संकट मिट जावे।
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा, पूर्ण मनोरथ होवे सारा।
पुत्र हीन सन्तति सुख पावे, निर्धन धनी बने गुण गावे।
इस विधि पाठ करे जो कोई, दुःख बन्धन छूटे सुख होई।
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें, पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।
सबसे लघु उपाय यह जानो, सिद्ध होय मन में जो ठानो।
ललिता करे हृदय में बासा, सिद्धि देत ललिता चालीसा।
॥ दोहा ॥
ललिते माँ अब कृपा करो, सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय कर, करते तुम्हें प्रणाम॥
ललिता चालीसा पढ़ने की विधि
ललिता चालीसा (Lalita Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- माता ललिता के चालीसा को पढ़ने के लिए स्नान आदि से मुक्त होकर पूजा स्थान की सफाई कर ले।
- इसके बाद माता की तस्वीर को एक छोटी चौकी रखकर उसे पर स्थापित करें।
- माता को लाल अड़हुल के फूल अर्पित करें।
- माता को शृंगार के समान अर्पित कीजिए और उन्हें मीठे का भोग लगाइए।
- अब माता के सामने घी का एक दीपक जलाकर उनके चालीसा का पाठ करिए।
- माता के चालीसा को पढ़ने के बाद माता से आशीर्वाद लीजिए।
- नित्य दिन ललिता माता के चालीसा को पढ़ना उत्तम माना गया है।
ललिता चालीसा का महत्त्व
माता ललिता हिंदू धर्म में एक महत्त्वपूर्ण देवी के रूप में पूजी जाती है। जिनका स्थान भगवान शिव और विष्णु से भी ऊपर हो वह माता के चालीसा को पढ़ने से मानव जीवन में बहुत प्रकार के लाभ आ सकते हैं। जो व्यक्ति ललिता चालीसा (Lalita Chalisa) को सच्चे मन से पढ़ता है, यह चालीसा उसके लिए एक मंत्र के रूप में काम करता है जो कि उनके सारे कार्यों को सिद्ध कर देता है। माता ललिता को अंधकार में ज्योति के रूप में माना गया है इसलिए जो भक्त इस चालीसा का पाठ करते हैं माँ खुद उनके सारे संकट हर लेती है। माँ ललिता के पूजन से भक्तों को सुख समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह हर प्रकार के बंधनों से मुक्त होता हैं।
ललिता चालीसा के लाभ
ललिता चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति के हर प्रकार के काम सफल होते हैं और उसका कल्याण होता है। उसके जीवन से हर प्रकार की कष्ट विपदा, मोह माया, लोभ अहंकार जैसे भाव व्यक्ति के जीवन से दूर होते हैं और उसकी जीवन सदैव प्रकाशित रहती है।
श्री ललित के चालीसा को पढ़ने से योगी संत जैसे व्यक्ति को योगसिद्धि की प्राप्ति होती है और जो व्यक्ति गृहस्थ हो उसका गृहस्थ जीवन सुख मय रहता है।
व्यक्ति की गरीबी दूर होती है और उसके जीवन में कभी भी धन संपदा की कोई कमी नहीं होती, माता दीन दुखियों को सहारा देने वाली मानी गई है।
माता ललिता सौभाग्य की देवी मानी गई है इनकी पूजा अर्चना और चालीसा को पढ़ने से स्त्री के जीवन में सदैव सौभाग्य बना रहता है और निसंतान स्त्री को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। माता ललिता के चालीसा को 21 दिन लगातार पढ़ने से यह चालीसा सिद्ध हो जाता है।
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