श्री पार्वती चालीसा | Shri Parvati Chalisa

हिंदू धर्म में जगत जननी के रूप में पूजे जाने वाली माता पार्वती को उमा नाम से भी जाना गया हैं। राजा हिमालय की पुत्री और भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती को माँ काली, देवी लक्ष्मी, आदि पराशक्ति, दुर्गा, सती, सरस्वती और अन्य कई देवियों के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव की पत्नी होने के कारण उन्हें पूरे ब्रह्मांड की जगत जननी और मानवता की रक्षक करने वाली भी माना गया है। माता पार्वती की आराधना करने से हम भगवान शिव के भी करीब होते हैं और शक्ति रूप में पूजे जाने वाली माँ पार्वती आशीर्वाद से कुटुंब का साथ बना रहता है।

श्री पार्वती चालीसा को माता पार्वती के पूजन का एक विशेष हिस्सा माना गया है क्योंकि इस चालीसा से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि और सफलता आती है। ऐसा भी माना गया है कि माँ पार्वती के पूजन के बिना भोलेनाथ की पूजा करना व्यर्थ है क्योंकि भगवान शिव उन्हें अपनी शक्ति के रूप में पूजनीय मानते हैं। माता पार्वती का चरित्र इतना दिव्य है कि उनके पूजन मंत्र से ही स्त्रियों को सौभाग्य एवं दांपत्य जीवन में सुख की कभी कमी नहीं होती। श्री पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) के नियमित पाठ से हमारे घर में माता पार्वती के साथ-साथ भगवान शिव और गणपति बप्पा का भी आगमन होता है तथा इस चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति गुणवान और दीर्घायु होता है।

Shri Parvati Chalisa Lyrics in Hindi

श्री पार्वती चालीसा (Shri Parvati Chalisa Lyrics in Hindi)

।। दोहा ।।

जय गिरी तनये दक्षजे, शम्भु प्रिये गुणखानि।

गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि।।

।। चौपाई ।।

ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।

षटमुख कहि न सकतयश तेरो, सहबदन श्रम करत घनेरो।

तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता।

अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।

ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुम अक्षत शोभा मनहर।

कनक बसन कंचुकी सजाए, कटि मेखला दिव्य लहराए।

कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।

बालारुण अनन्त छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।

नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।

इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यष रव कूजित।

गिरकैलास निवासिनी जै जै, कोटिकप्रभा विकासिनी जै जै।

त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी, अणु-अणु महं तुम्हारी उजियारी।

हैं महेश प्राणेश! तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।

उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।

बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गाव कोउ तिनकी।

सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।

कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।

देव मगन के हित असकीन्हों, विष लै आपु तिनहि अमिदीन्हों।

ताकी तुम पत्नी छविधारिणी, दुरित विदारिणी मंगलकारिणी।

देखि परम सौन्दर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।

भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।

सौत समान शम्भु पहंआयी, विष्णुपदाब्जछोड़ि सो धायी।

तेहिकों कमल बदन मुरझायो, लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो।

नित्यानन्द करी बरदायिनी, अभय भक्त करनित अनपायिनी।

अखिलपाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी हिमालयनन्दिनी।

काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।

भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।

रिपुक्षय करिणी जै जै अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।

गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।

सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।

तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।

अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयऊ तुम्हारा।

पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।

तप बिलोकि रिषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।

तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तरिषि निज गेह सिधारेउ।

सुन विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।

मांगे उमावरपति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।

एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।

करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा।

जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा।

।। दोहा ।।

कूट चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खा‍नि।

पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानि।।

माँ पार्वती चालीसा पढ़ने की विधि

श्री पार्वती चालीसा पढ़ने के लिए सोमवार को सबसे उत्तम दिन माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, स्नान और पूजा स्थान की साफ सफाई करने के पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की साथ वाली मूर्ति या चित्र को एक वेदी पर रख ले और आसानी बेचकर बैठ जाए और माँ को लाल फूल अर्पित करने से शुरुआत करें और भगवान शिव के साथ-साथ उन्हें भी बेल पत्री अर्पित करें।

इसके पश्चात माता के सामने हो सके तो एक घी का दीपक जला दे या फिर कपूर से आरती करें, प्रसाद किसी भी तरह का सफेद मिठाई या फिर मिश्री का उपयोग कर सकते हैं। इसके बाद माता रानी को रोली से टिका लगाए एवं भगवान शिव को चंदन लगाकर एक लोटा जल समर्पित करें और ध्यान मग्न होकर भगवान शिव को याद करते हुए माता पार्वती के चालीसा का पाठ करें और पाठ खत्म होने के बाद अपनी मनोकामना माँ के सामने व्यक्त करें।

इस अनुष्ठान से आपकी जीवन की तमाम परेशानियाँ समाप्त होगी एवं भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहती है।

माँ पार्वती चालीसा का महत्त्व

विद्वानों के अनुसार श्री पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) का पाठ करने से माँ पार्वती की असीम कृपा का अनुभव होता है जो हमारे जीवन में एक संतुलन लाता है। ऐसा माना गया है कि जिन कन्याओं के विवाह मैं दिक्कत आती है उन्हें मात्र पार्वती चालीसा का पाठ करने से लाभ हो जाता है। चालीसा में दिए गए श्लोक में माता पार्वती की दिव्य शक्तियों का वर्णन है जिससे भक्त के मन में उनके प्रति भक्ति भाव एवं समर्पण की भावना आ जाती है। जो व्यक्ति माता पार्वती के चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन का भार खुद भगवान शिव थाम लेते हैं और उनके घर पर भोलेनाथ की-की कृपा बनी रहती है व्यक्ति न सिर्फ धनी होता है बल्कि उसे बल, विवेक और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं अगर हम नियमित तौर पर माता पार्वती के चालीसा का पाठ करते हैं तो हमारे हर काम सफल होते हैं क्योंकि विघ्नहर्ता गणेश भगवान भी ऐसे भक्तों से बहुत खुश होते हैं जो उनकी माता को पूजनीय माने। इस अनुसंधान से हमारे जीवन में धार्मिकता का मार्गदर्शन मिलता है। इस चालीसा के माध्यम से भक्त अपनी सारी मनोकामनाएँ एवं एक खुशहाल दांपत्य जीवन सिद्ध करता है।

माँ पार्वती चालीसा पढ़ने के लाभ

  1. आदिशक्ति के रूप में पूजे जाने वाली माता पार्वती के चालीसा को पढ़ने से भक्त हमेशा उन्नति की मार्ग पर चलता है और उसे माता पार्वती का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उसके घर में कभी भी धन और यश की कमी नहीं होती तथा उसे आत्मिक और मानसिक शक्ति मिलती है।
  2. जो भक्त इस चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन में पारिवारिक सुख रहता है और उसका दांपत्य जीवन भी अच्छा रहता है, अक्सर ऐसा माना गया है कि जो सौभाग्यवती स्त्रियाँ इसका पाठ करती है उनका सौभाग्य सदा बना रहता है।
  3. माता पार्वती साहस और शक्ति की देवी मानी गई है उनके अनुष्ठान और चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर कभी भी साहस की कोई कमी नहीं होती और वह अपनी हर परिस्थितियों से निपटने में तत्पर रहता है।
  4. जैसा कि बताया गया माता पार्वती के अनुष्ठान और पूजन से ना तो केवल हमें उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है बल्कि भगवान शिव भी हमारे भक्ति से खुश होते हैं, ऐसे इंसान के घर में कभी भी कोई रोग का निवास नहीं हो सकता और वह व्यक्ति हर तरह के भौतिक सुखों का भोगी होता है।
  5. माता पार्वती के चालीसा के पाठ से भक्त हमेशा भक्ति के मार्ग पर चलता है और उसके जीवन के सारे संघर्षों को बड़ी सूझबूझ और समझदारी से निभाता है।

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