भगवान हनुमान के बचपन का नाम ‘बाला’ होने के कारण भारत के कई हिस्सों में उनकी पूजा बालाजी के रूप में की जाती है। भगवान राम के सेवक के रूप में प्रसिद्ध बालाजी का मंदिर राजस्थान में दो पहाड़ों के बीच स्थित है। यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान माना गया है। इस मंदिर में भगवान हनुमान की बाल अवस्था की मूर्ति स्थापित है।
भगवान हनुमान या बालाजी इस कलयुग में एक जागृत देवता के रूप में पूजे जाते हैं, उन्हें प्रभु श्री राम से यह आशीर्वाद मिला था। माना जाता है कि अरावली के पहाड़ियों में भगवान बालाजी की मूर्ति अपने आप बन गई थी इसे किसी कलाकार ने नहीं बनाया था। कहते हैं कि मेहंदीपुर में स्थित श्री बालाजी के मंदिर के पुराने संत को मंदिर निर्माण का सपना आया जिस वजह से श्री बालाजी का मंदिर बना। भक्त प्रभु बालाजी की पूजा अर्चना में उनके चालीसा का पाठ भी सम्मिलित करते हैं।
श्री बालाजी चालीसा (Shri Balaji Chalisa Lyrics in Hindi
।। दोहा ।।
श्री गुरू चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान।
बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण।।
विश्व विदित वरदानी संकट हरण हनुमान।
मैंहदीपुर में प्रकट भये बालाजी भगवान।।
।। चौपाई ।।
जय हनुमान बालाजी देवा, प्रगट भये यहां तीनों देवा।
प्रेतराज भैरव बलवाना, कोतवाल कप्तानी हनुमाना।
मैंहदीपुर अवतार लिया है, भक्तों का उद्धार किया है।
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर, संकट वाले आते जहाँ पर।
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं, मशान चुड़ैल भूत भूतनीं।
जाके भय ते सब भग जाते, स्याने भोपे यहाँ घबराते।
चौकी बन्धन सब कट जाते, दूत मिले आनन्द मनाते।
सच्चा है दरबार तिहारा, शरण पड़े सुख पावे भारा।
रूप तेज बल अतुलित धामा, सन्मुख जिनके सिय रामा।
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा, सबकी होवत पूर्ण आशा।
महन्त गणेशपुरी गुणीले, भये सुसेवक राम रंगीले।
अद्भुत कला दिखाई कैसी, कलयुग ज्योति जलाई जैसी।
ऊँची ध्वजा पताका नभ में, स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में।
धर्म सत्य का डंका बाजे, सियाराम जय शंकर राजे।
आन फिराया मुगदर घोटा, भूत जिन्द पर पड़ते सोटा।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा, बाल रूप प्रगटे हनुमाना।
जय हनुमन्त हठीले देवा, पुरी परिवार करत हैं सेवा।
लड्डू चूरमा मिश्री मेवा, अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा।
दया करे सब विधि बालाजी, संकट हरण प्रगटे बालाजी।
जय बाबा की जन जन ऊचारे, कोटिक जन तेरे आये द्वारे।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा, तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा।
देवन विनती की अति भारी, छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी।
लांघि उदधि सिया सुधि लाये, लक्ष्मन हित संजीवन लाये।
रामानुज प्राण दिवाकर, शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर।
केशरी नन्दन दुख भव भंजन, रामानन्द सदा सुख सन्दन।
सिया राम के प्राण पियारे, जब बाबा की भक्त ऊचारे।
संकट दुख भंजन भगवाना, दया करहु हे कृपा निधाना।
सुमर बाल रूप कल्याणा, करे मनोरथ पूर्ण कामा।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी, भक्त जन आवे बहु भारी।
मेवा अरू मिष्ठान प्रवीना, भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना।
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे, रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे।
अर्जी का आदेश मिलते ही, भैरव भूत पकड़ते तबही।
कोतवाल कप्तान कृपाणी, प्रेतराज संकट कल्याणी।
चौकी बन्धन कटते भाई, जो जन करते हैं सेवकाई।
रामदास बाल भगवन्ता, मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता।
जो जन बालाजी में आते, जन्म जन्म के पाप नशाते।
जल पावन लेकर घर जाते, निर्मल हो आनन्द मनाते।
क्रूर कठिन संकट भग जावे, सत्य धर्म पथ राह दिखावे।
जो सत पाठ करे चालीसा, तापर प्रसन्न होय बागीसा।
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे, सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे।
।। दोहा ।।
मन्द बुद्धि मम जानके, क्षमा करो गुणखान।
संकट मोचन क्षमहु मम, दास स्नेही कल्याण।।
श्री बालाजी चालीसा पढ़ने की विधि
बालाजी चालीसा (Balaji Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- श्री बालाजी के चालीसा का पाठ मंगलवार के दिन करना शुभ माना गया है।
- स्नान आदि से मुक्त होकर पूजा स्थान की साफ सफाई कर ले।
- बालाजी के तस्वीर को स्थापित करें और उन्हें धूप या अगरबत्ती दिखाएँ।
- पूरे स्थान को गंगाजल से पवित्र करें और भगवान राम को याद कर उनसे प्रार्थना करें।
- श्री बालाजी को लड्डू का भोग लगाए और लाल फूल अर्पित करें।
- अब श्री बालाजी के चालीसा को अर्थ सहित पढ़े और आरती गाकर समाप्त करें।
श्री बालाजी चालीसा का महत्त्व
पूरे देश भर से लोग बालाजी के मंदिर में आकर अपनी अर्जी लगवाते हैं। बालाजी की महिमा इतनी महान है कि किसी भी प्रकार के भूत प्रेत से व्यक्ति को इनके पास आते ही राहत मिल जाती है। श्री बालाजी के चालीसा के पाठ से व्यक्ति के जीवन की सारी नकारात्मक ऊर्जा का समापन होता है एवं उसके जीवन में किसी तरह की भी बाधा नहीं रह जाती। श्री बालाजी के चालीसा को पढ़ने से भक्त के जीवन में ठहराव आता है और उसे कोई भी रोग या बीमारी नहीं घेर पाती। जब किसी भी व्यक्ति के जीवन में कोई ऐसी समस्या या दुर्बलता आ जाती है जिसमे उससे समझ ना आए क्या करे, तो ऐसे समय में श्री बालाजी का ध्यान करना एवं उनके चालीसा को पढ़ना किसी भी मनुष्य के लिए उत्तम माना गया है। उन्होंने अपने रामायण के लीलाओं से यह सिद्ध किया है कि उनके पास किसी भी संकट का समाधान है। जैसे बालाजी ने माता सीता की रक्षा की, राजा लक्ष्मण के प्राण बचाए और भगवान श्री राम के सेवक बने इस प्रकार जो भक्त उनके चालीसा को सच्चे हृदय और मन से पढ़ता है उन पर बालाजी की असीम कृपा होती है।
श्री बालाजी चालीसा के लाभ
बालाजी के चालीसा (Balaji Chalisa) को पढ़ने से व्यक्ति में पवित्रता की भावना बढ़ती है एवं उसे आत्मिक बल और मनोबल की प्राप्ति होती है।
श्री बालाजी के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति के मन से भय, सुरक्षा और तनाव जैसी भावनाएँ कम होती है तथा व्यक्ति खुद को निरोगी महसूस करता है।
अगर किसी व्यक्ति को किसी चीज से भी डर लगे या उसका मन अशांत हो तो उन लोगों के लिए बालाजी के चालीसा का पाठ अति उत्तम माना गया है।
बालाजी के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति की न केवल आर्थिक स्थिति मजबूत होती है बल्कि उसे दूसरे क्षेत्र में भी मार्ग बनाने का मौका मिलता है।
इस कलयुग के देवता होने के कारण भगवान बालाजी के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान बालाजी के चालीसा को सुबह शाम पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह की तकलीफों का अंत होता है।
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