माँ सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa): ज्ञान और बुद्धि का स्रोत

ज्ञान और कला की अवतार देवी माँ सरस्वती किसी भी प्रकार की कमी से प्रतिरक्षित हैं, क्योंकि उनका आशीर्वाद असीम है। ज्ञान की देवी, सरस्वती न केवल ज्ञान को बढ़ाती हैं, बल्कि जब उनके भजनों का लगातार पाठ किया जाता है, तो बुद्धि भी समृद्ध होती है। वीणा वादिका माँ सरस्वती की भक्ति, निरंतर पूजा और श्रद्धा के माध्यम से संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय सफलता दिलाती है।

श्री सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) का प्रभाव व्यक्ति को प्रगति को बढ़ावा देते हुए एक समृद्ध प्राणी में बदल देता है।  माँ सरस्वती की कृपा से व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त होकर तेजस्वी और संकटों से अछूता हो जाता है। श्री सरस्वती चालीसा का निरंतर जाप न केवल संगीत के क्षेत्र में सफलता दिलाता है, बल्कि उपासक के मन में शांति भी लाता है, क्योंकि माँ सरस्वती अपने विनम्र स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। इसलिए सरस्वती चालीसा का पाठ करने से मन शांत और स्थिर रहता है। चालीसा का जाप करने से चिंतन और मनन करने की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे छात्र अपनी पढ़ाई पर पूरे मन से ध्यान केंद्रित कर पाते है।

Maa Saraswati chalisa

माँ सरस्वती चालीसा (Maa Saraswati Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥

॥ चौपाई ॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुजधारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।
जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥

तबहि मातु ले निज अवतारा।
पाप हीन करती महि तारा॥

बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी।
तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामायण जो रचे बनाई।
आदि कवी की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्धाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करै अपराध बहूता।
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥

राखु लाज जननी अब मेरी।
विनय करूं बहु भांति घनेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधु कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥

समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥

मातु सहाय भई तेहि काला।
बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
छण महुं संहारेउ तेहि माता॥

रक्तबीज से समरथ पापी।
सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥

काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।
बार बार बिनवउं जगदंबा॥

जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।
छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥

भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।
सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित जो मारन चाहै।
कानन में घेरे मृग नाहै॥

सागर मध्य पोत के भंगे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करइ न कोई॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥

धूपादिक नैवेद्य चढावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करै हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें शत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥

करहु कृपा भवमुक्ति भवानी।
मो कहं दास सदा निज जानी॥

॥ दोहा ॥

माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप।
डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥

बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु।
अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥

श्री सरस्वती चालीसा करने की विधि

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • अपने दैनिक सुबह के अनुष्ठानों, जैसे साफ़-सफ़ाई और स्नान के बाद, अपने लिए पीले या सफ़ेद वस्त्र पहनना चुनें।
  • श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करते समय पीला कपड़ा (आसन) बिछाएं और उस पर देवी सरस्वती की तस्वीर अवश्य रखें।
  • देवी सरस्वती को पीले और सफेद फूल चढ़ाएं। गाय के घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
  • देवी सरस्वती की  प्रतिमा व्यक्तिगत रूप से पीले चंदन का तिलक भी अवश्य लगाएं।
  •  अब श्रद्धापूर्वक सरस्वती चालीसा का पाठ करें. पाठ पूरा होने पर बच्चों को पीली या सफेद मिठाई बांटें।

सरस्वती चालीसा के महत्व

सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa) के पाठ के कुछ महत्वपूर्ण लाभों में शामिल हैं और यह हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान और कला में सुधार होता है, जिससे उनका अध्ययन एवं शैली में वृद्धि होती है। माँ सरस्वती की कृपा से व्यक्ति की बुद्धि में विकास होता है, जिससे सोचने और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।

सरस्वती चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है, जो उनके जीवन को समृद्धि और संपूर्णता की दिशा में और मदद करती है। चालीसा के पाठ से व्यक्ति को सत्कर्मों में सफलता मिलती है और वह अपने कार्यों में सच्चे और सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ सकता है।

श्री सरस्वती चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का मन शांत और स्थिर रहता है, जिससे उसकी आत्मशान्ति में सुधार होता है एवं छात्र और छात्राएं अपने अध्ययन में एकाग्र मन से लगे रहते हैं और शिक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं।

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