श्री गोरखनाथ चालीसा | Shri Gorakhnath Chalisa

गोरक्षनाथ या गुरु गोरखनाथ जी महाराज प्रथम शताब्दी के पुराने नाथ योगी माने गए हैं। गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया है और उन्होंने भ्रमण के साथ-साथ अनेक ग्रंथों की रचना भी की है। भगवान शिव के अवतार माने गए गुरु गोरखनाथ के मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गोरख नगर में स्थित है। भैरवनाथ, जो कि गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे खुद उनका कल्याण माता वैष्णो देवी ने किया था।

नेपाल में गोरखा समुदाय के लोगों को गोरखा नाम श्री गोरखनाथ जी से ही मिला है। नेपाल के जिले गोरख का नाम भी संत गोरखनाथ के ही नाम पर रखा गया है। ऐसा माना गया है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले नेपाल जिले के गोरख में ही दिखे थे। गोरखा जिले में एक गुफा है जहाँ गुरु गोरखनाथ की मूर्ति और पग चिह्न है जिसे तीर्थ का महत्त्व पूर्ण स्थान माना गया है। हर साल वैशाख पूर्णिमा को यहाँ पर ‘रोट महोत्सव’ नामक एक महत्त्वपूर्ण महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) को अर्थ सहित पढ़ने और उसे अपने जीवन में सम्मिलित करना उत्तम माना गया।

श्री गोरखनाथ चालीसा (Shri Gorakhnath Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार
हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार॥

॥ चोपाई ॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ॥

जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी । इच्छा रूप योगी वरदानी ॥

अलख निरंजन तुम्हरो नामा । सदा करो भक्त्तन हित कामा ॥

नाम तुम्हारो जो कोई गावे । जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥

जो कोई गोरख नाम सुनावे । भूत पिसाच निकट नहीं आवे ॥

ज्ञान तुम्हारा योग से पावे । रूप तुम्हारा लख्या न जावे ॥

निराकार तुम हो निर्वाणी । महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥

घट – घट के तुम अंतर्यामी । सिद्ध चोरासी करे परनामी ॥

भस्म अंग गल नांद विराजे । जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥

तुम बिन देव और नहीं दूजा । देव मुनिजन करते पूजा ॥

चिदानंद संतन हितकारी । मंगल करण अमंगल हारी ॥

पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी । गोरख नाथ सकल प्रकाशी ॥

गोरख गोरख जो कोई धियावे । ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ॥

शंकर रूप धर डमरू बाजे । कानन कुंडल सुन्दर साजे ॥

नित्यानंद है नाम तुम्हारा । असुर मार भक्तन रखवारा ॥

अति विशाल है रूप तुम्हारा । सुर नर मुनि जन पावे न पारा ॥

दीनबंधु दीनन हितकारी । हरो पाप हम शरण तुम्हारी ॥

योग युक्ति में हो प्रकाशा । सदा करो संतान तन बासा ॥

प्रात : काल ले नाम तुम्हारा । सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा ॥

हठ हठ हठ गोरछ हठीले । मर मर वैरी के कीले ॥

चल चल चल गोरख विकराला । दुश्मन मार करो बेहाला ॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । अपने जन की हरो चोरासी ॥

अचल अगम है गोरख योगी । सिद्धि दियो हरो रस भोगी ॥

काटो मार्ग यम को तुम आई । तुम बिन मेरा कोन सहाई ॥

अजर अमर है तुम्हारी देहा । सनकादिक सब जोरहि नेहा ॥

कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥

योगी लखे तुम्हारी माया । पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ॥

ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे । अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ॥

शिव गोरख है नाम तुम्हारा । पापी दुष्ट अधम को तारा ॥

अगम अगोचर निर्भय नाथा । सदा रहो संतन के साथा ॥

शंकर रूप अवतार तुम्हारा । गोपीचंद भरथरी को तारा ॥

सुन लीजो प्रभु अरज हमारी । कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ॥

पूर्ण आस दास की कीजे । सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥

पतित पवन अधम अधारा । तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥

अखल निरंजन नाम तुम्हारा । अगम पंथ जिन योग प्रचारा ॥

जय जय जय गोरख भगवाना । सदा करो भक्त्तन कल्याना॥

जय जय जय गोरख अविनाशी । सेवा करे सिद्ध चोरासी ॥

जो यह पढ़े गोरख चालीसा । होए सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥

हाथ जोड़कर ध्यान लगावे । और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥

बारह पाठ पढ़े नित जोई । मनोकामना पूर्ण होई ॥

॥ दोहा ॥

सुने सुनावे प्रेम वश, पूजे अपने नाथ
मन इच्छा सब कामना, पुरे गोरखनाथ ॥

अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार
कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार ॥

सिद्ध पुरुष योगेश्वरो, दो मुझको उपदेश
हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश ॥

|| इति श्री गोरखनाथ चालीसा ||

श्री गोरखनाथ चालीसा पढ़ने की विधि

गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • गोरखनाथ चालीसा को पढ़ने के लिए प्रातः काल का समय उत्तम माना गया है।
  • चालीसा को पढ़ने के लिए स्नान और नित्य कर्म से मुक्त होकर अगर आपके पास गुरु गोरखनाथ की कोई तस्वीर है उसे स्थापित कर ले या फिर उनका मन से ही याद कर ले।
  • धूप और अगरबत्ती करने के बाद चालीसा का पाठ करें।
  • चालीसा को अर्थ सहित ध्यान लगाकर पढ़े या फिर आप उसे सुन भी सकते हैं।

श्री गोरखनाथ चालीसा का महत्त्व

गुरु गोरखनाथ जी गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के मानस पुत्र माने गए हैं। भगवान शिव के अवतार होने के कारण गुरु गोरखनाथ की पूजा पूरे भारत में की जाती है। श्री गोरखनाथ चालीसा (Gorakhnath Chalisa) मनुष्य के लिए पढ़ने एवं सुनना बहुत ही फायदेमंद माना गया है। खास कर उन लोगों के लिए जो अपने जीवन में पूर्ण सुख और सुरक्षा पाना चाहते हैं। गोरखनाथ चालीसा के पाठ से बाबा गोरखनाथ भक्त पर प्रसन्न होकर उसे धन संपदा, ऐश्वर्य और यश का आशीर्वाद के साथ-साथ उसके जीवन में ठहराव लाते हैं। जो व्यक्ति योग या ध्यान में आत्मिक और मानसिक शांति पाना चाहता है वैसे लोगों के लिए बाबा गोरखनाथ के चालीसा का पाठ अच्छा माना गया है। सनातन धर्म में समय-समय पर कई महात्मा का जन्म हुआ और उनमें से ही बाबा गोरखनाथ अपने भक्त का सदैव कल्याण करते हैं।

श्री गोरखनाथ चालीसा के लाभ

गुरु गोरखनाथ के आध्यात्मिकता से जुड़े होने के कारण उनके चालीसा को पढ़ने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति को आत्मिक शांति मिलती है।

ऐसा माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ चालीसा भक्त के लिए सुरक्षा कवच बनता है और उन्हें हर विफल परिस्थितियों एवं नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाकर रखता है।

गुरु गोरखनाथ के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है और उसे हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है एवं भक्त के जीवन से कष्ट दूर होती है और उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।

गुरु गोरखनाथ के चालीसा को पढ़ने से भक्त उनकी तरह ही बुद्धिमान होता है और वह व्यक्ति दूसरों पर प्रभाव डालने वाला बनता है।

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