जब धरती पर राक्षसों और पपिया का आतंक बढ़ा, तब आदशक्ति ने माँ चामुंडा के रूप में अवतार लिया और उन्होंने मानव जीवन के कल्याण के लिए राक्षसों का संघार किया इसलिए उनकी महिमा इतनी महान है। पुरणो के अनुसार जब खतरनाक राक्षस महिषासुर ने इस पूरी पृथ्वी पर उथल-पुथल मचा दिया था तो उसने ब्रह्मा जी की तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी ने उसे वर मांगने का मौका दिया और ब्रह्मा जी ने महिषासुर को वरदान दिया कर उसका वध सिर्फ एक स्त्री ही करेगी जिस वजह से माँ दुर्गा को माँ चामुंडा का अवतार लेना पड़ा। उन्होंने ही चंड और मुंड जैसे राक्षसों का भी संघार किया है।
माता राक्षसों का वध करते समय इतनी क्रोधित हो गई थी कि स्वयं भगवान शिव को उन्हें शांत करना पड़ा था। माता ने चामुंडा रूप धारण किया और राक्षसों का संघार किया इसी रूप को समर्पित एक मंदिर जो उत्तर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक धार्मिक स्थल के रूप में हिंदुओं के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान माना गया है। यह मंदिर धर्मशाला में पालमपुर शहर से 19 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। ऐसा माना गया है कि वहाँ पर जाकर मांगी हुई मन्नत हमेशा सरकार होती है। श्री चामुंडा चालीसा (Chamunda Chalisa) माता के गुणों को उल्लेखित करते हुए एक अहम स्तुति है।
श्री चामुण्डा चालीसा (Shri Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा ॥
नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड ।
दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़ ।।
मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत ।
मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत ।।
॥ चौपाई ॥
नमस्कार चामुंडा माता । तीनो लोक में विख्याता ।।
हिमालय में पवित्र धाम है । महाशक्ति तुमको प्रणाम है ।।1।।
मार्कंडिए ऋषि ने ध्याया । कैसे प्रकटी भेद बताया ।।
शुंभ-निशुंभ दो दैत्य बलसाली । तीनो लोक जो कर दिए खाली ।।2।।
वायु अग्नि यम कुबेर संग । सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग ।।
अपमानित चरणों में आए । गिरिराज हिमालय को लाए ।।3।।
भद्रा-रौद्रा नित्या ध्याया । चेतन शक्ति करके बुलाया ।।
क्रोधित होकर काली आई । जिसने अपनी लीला दिखाई ।।4।।
चंड-मुंड ओर शुभ पठाये। कामुक वेरी लड़ने आए ।।
पहले सुग्रीव दूत को मारा । भगा चंड भी मारा मारा ।।5।।
अरबो सैनिक लेकर आया । धूम्र लोचन क्रोध दिखाया ।।
जैसे ही दुष्ट ललकारा । हूं हूं शब्द गुंजा के मारा ।।6।।
सेना ने मचाई भगदड़ । फाडा सिंह ने आया जो बढ़ ।।
हत्या: करने चंड-मुंड आए । मदिरा पीकेर के घुराये।।7।।
चतुरंगी सेना संग लाए । ऊँचे ऊँचे शिखर गिराई ।।
तुमने क्रोधित रूप निकाला । प्रगटी डाल गले मुंड माला।।8।।
चर्म की साड़ी चीते वाली । हड्डी ढ़ाचा था बलशाली।।
विकराल मुखी आँखे दिखलाई । जिसे देख सृष्टि घबराई ।।9।।
चंड मुंड ने चक्र चलाया । ले तलवार हुं शब्द गुंजाया ।।
पपापियों का कर दिया निस्तारा। चंड मुंड दोनो को मारा ।।10।।
हाथ माई मस्तक ले मुस्काई । पापी सेना फिर घबराई ।।
सरस्सरस्वती मां तुम्हे पुकारा । पड़ा चामुंडा नाम तिहारा।।11।।
चंड मुंड की मृत्यु सुनकर । कालक मयूर आए रथ पर ।।
अरब- खरब युद्ध के पीठ पर । झोंक दिए सब चामुंडा पर ।।12।।
उग्र चंडिका प्रगटी आकर । गीदड़ियों की वाणी भरकर ।।
काली ख़टवांग घूंसों से मारा । ब्रह्माणी ने फेंकि जल धारा ।।13।।
माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया । माँ वैष्णवी चक्र घुमाया ।।
कार्तिके की शक्ति आई । नारसिंही दैत्यों पे छाई ।।14।।
चुन चुन सिंह सभी को खाया । हर दानव घायल घबराया ।।
रक्तबीज माया फैलाई । शक्ति उसने नई दिखाई ।।15।।
रक्त्त गिरा जब धरती उपर । नया दैत्य प्रगटा था वही पर ।।
चंडी माँ अब शूल घुमाया । मारा उसको लहू चुसाया।।16।।
शुम्भ निशुम्भ अब दौड़े आए । सरपट सेना भरकर लाए ।।
वज्रपात संग सूल चलाया । सभी देवता कुछ घबराए ।।17।।
ललकारा फिर घूँसा मारा । लै त्रिशूल किया निस्तारा।।
शुंभ-निशुम्भ निशुम्भ धरती पर सोए । दैत्य सभी देखकर रोए ।।18।।
कह मुंडा माँ धर्म बचाया । अपना शुभ मंदिर बनवाया ।।
सभी देवता आके मनाते । हनुमत भैरव चंवर डुलाते ।।19।।
अष्टमी चैत्र नवरात्रे आओ । ध्वजा नारियल भेट चढ़ाओ।।
वांडर नदी स्नान कराओ। चामुंडा माँ तुमको पियौ ।।20।।
॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो, हे जग की आधार ।
‘ओम’ ये नैया डोलती , कर दो भव से पार ।।
श्री चामुंडा चालीसा पढ़ने की विधि
श्री चामुंडा चालीसा (Chamunda Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- माता के चालीसा को पढ़ना किसी भी महीने के अष्टमी तिथि को अधिक शुभ माना गया है।
- चालीसा का पाठ करने के लिए स्नान और नित्य कर्म से मुक्त हो जाए।
- स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद माँ चामुंडा के तस्वीर को पवित्र जगह पर स्थापित कर दे।
- माता को लाल फूल अर्पित करें और हो सके तो शृंगार का सामान भी आप अर्पित कर सकते हैं।
- माता को मीठे का भोग लगाए और उनके सामने घी का एक दिया प्रज्वलित करें।
- अब माता के सामने ध्यान मग्न होकर बैठे और उनके चालीसा का पाठ करें।
- चालीसा खत्म करने के बाद माता से अपनी मनोकामना व्यक्त करें और उनका आशीर्वाद लेकर प्रसाद ग्रहण करें।
श्री चामुंडा चालीसा का महत्त्व
माता चामुंडा आदि शक्ति के रौद्र रूपों में से एक है इनकी पूजा अर्चना और चालीसा को पढ़ने से भक्त को न केवल बुराइयों से सुरक्षा मिलती बल्कि वह हर प्रकार की नकारात्मकता से भी दूर रहता है। माता के इस रूप की अगर भक्त सच्चे मन से बैठकर चालीसा का पाठ करता है तो उसे अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इसी के साथ अगर भक्त के व्यवसाय, घर, परिवार में किसी भी तरह का संकट आ खड़ा हुआ है तो माँ चामुंडा उसको हर लेती है। इस चालीसा में माता की महिमा, कर्म और उद्देश्य काउल्लेख किया गया है जिससे भक्तगण पढ़ कर माता की दिव्य आशीर्वाद का भोगी बन सकते है। माता का चालीसा भक्तों को विपत्ति, दुख, पीड़ा, कष्ट से बाहर निकाल कर एक सुखमय जीवन प्रदान करता है।
श्री चामुंडा चालीसा के लाभ
चामुंडा चालीसा (Chamunda Chalisa) का पाठ करने के अनेक लाभ है:
- माता चामुंडा के चालीसा के पाठ से स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है और वह सुखमय दांपत्य जीवन की भोगी होती है।
- भक्त और उसके कुल पर माता की कृपा होती है और उनके हर कष्ट, रोग, बीमारी दूर होते हैं।
- व्यक्ति के सिद्धि बुद्धि, धन, बल और विवेक में उन्नति होती चली जाती है एवं व्यक्ति मन से मजबूत होता है एवं उसका आत्मविश्वास और एकाग्रता तेजी से बढ़ता चला जाता है।
- बौद्धिक क्षमताओं में बढ़ोतरी होती है और व्यक्ति के कुंडली में सभी प्रकार के नकारात्मक दोषों का अंत होता है।
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