श्री कृष्ण को भगवान नारायण का पूर्ण अवतार माना जाता है, अपने मानवीय रूप में, श्री कृष्ण ने निरंतर धार्मिक कार्यों में संलग्न रहते हुए जीवन की चुनौतियों का अनुभव किया और उन्हें सहन किया। भगवद गीता के माध्यम से, उन्होंने कर्म के महत्त्व पर जोर देते हुए मानवता को जीवन जीने की कला प्रदान की। श्री राधा से विवाह न करने के बावजूद, श्री कृष्ण ने आजीवन आध्यात्मिक प्रेम का उदाहरण दिया, लोगों को प्रेम के सच्चे सार के बारे में बताया। ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण की पूजा करने से सफलता, बुद्धि, धन, शक्ति और ज्ञान मिलता है।
॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम ॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज ॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन |
जय वासुदेव देवकी नंदन ।।
जय यशोदा सुत नन्द दुलारे |
जय प्रभु भक्तन के रखवारे ।।
जय नटनागर नाग नथैया |
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ।।
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो |
आओ दीनन कष्ट निवारो ।।
बंसी मधुर अधर धरी तेरी |
होवे पूरण मनोरथ मेरी ।।
आओ हरी पुनि माखन चाखो |
आज लाज भक्तन की राखो ।।
गोल कपोल चिबुक अरुनारे |
मृदुल मुस्कान मोहिनी डारे ।।
रंजित राजिव नयन विशाला |
मोर मुकुट वैजयंती माला ।।
कुंडल श्रवण पीतपट आछे |
कटी किंकिनी काछन काछे ।।
नील जलज सुंदर तनु सोहे |
छवि लखी सुर नर मुनि मन मोहे ।।
मस्तक तिलक अलक घुंघराले |
आओ श्याम बांसुरी वाले ।।
करि पी पान, पुतनाहीं तारयो |
अका बका कागा सुर मारयो ।।
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला |
भये शीतल, लखिताहीं नंदलाला ।।
सुरपति जब ब्रिज चढ़यो रिसाई |
मूसर धार बारि बरसाई ।।
लगत-लगत ब्रिज चाहं बहायो |
गोवर्धन नखधारी बचायो ।।
लखी यशोदा मन भ्रम अधिकाई |
मुख महँ चौदह भुवन दिखाई ।।
दुष्ट कंस अति ऊधम मचायो |
कोटि कमल कहाँ फूल मंगायो ।।
नाथी कालियहिं तब तुम लीन्हें |
चरनचिंह दै निर्भय किन्हें ।।
करी गोपिन संग रास विलासा |
सब की पूरण करी अभिलाषा ।।
केतिक महा असुर संहारयो |
कंसहि केश पकडी दी मारयो ।।
मातु पिता की बंदी छुडाई |
उग्रसेन कहाँ राज दिलाई ।।
माहि से मृतक छहों सुत लायो |
मातु देवकी शोक मिटायो ।।
भोमासुर मुर दैत्य संहारी |
लाये शत्दश सहस कुमारी ।।
दी भिन्हीं त्रिन्चीर संहारा |
जरासिंधु राक्षस कहां मारा ।।
असुर वृकासुर आदिक मारयो |
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ।।
दीन सुदामा के दुःख तारयो |
तंदुल तीन मुठी मुख डारयो ।।
प्रेम के साग विदुर घर मांगे |
दुर्योधन के मेवा त्यागे ।।
लाखी प्रेमकी महिमा भारी |
नौमी श्याम दीनन हितकारी ।।
मारथ के पार्थ रथ हांके |
लिए चक्र कर नहीं बल थाके ।।
निज गीता के ज्ञान सुनाये |
भक्तन ह्रदय सुधा बरसाए ।।
मीरा थी ऐसी मतवाली |
विष पी गई बजाकर ताली ।।
राणा भेजा सांप पिटारी |
शालिग्राम बने बनवारी ।।
निज माया तुम विधिहीन दिखायो |
उरते संशय सकल मिटायो ।।
तव शत निंदा करी ततकाला |
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ।।
जबहीं द्रौपदी तेर लगाई |
दीनानाथ लाज अब जाई ।।
अस अनाथ के नाथ कन्हैया |
डूबत भंवर बचावत नैया ।।
सुन्दरदास आस उर धारी |
दयादृष्टि कीजे बनवारी ।।
नाथ सकल मम कुमति निवारो |
छमोबेग अपराध हमारो ।।
खोलो पट अब दर्शन दीजे |
बोलो कृष्ण कन्हैया की जय ।।
।। दोहा ।।
यह चालीसा कृष्ण का, पथ करै उर धारी ।
अष्ट सिद्धि नव निद्धि फल, लहे पदार्थ चारी ।।
श्री कृष्ण चालीसा कर ने की विधि
कृष्ण चालीसा (Krishna Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- पूजा से पहले अपने हाथों को साफ कर लें।
- बाल गोपाल के लिए सुगंधित पुष्प स्नान का आयोजन करें।
- भगवान का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें।
- भगवान कृष्ण को जलता हुआ दीपक दिखाएँ।
- इसके बाद धूप अर्पित करें और चालीसा पढ़े और चंदन या रोली में आठ सुगंधित द्रव्यों का तिलक लगाएँ।
- देवता को मक्खन, चीनी और अन्य प्रसाद चढ़ाएँ।
- अनुष्ठान के दौरान तुलसी का एक पत्ता विशेष रूप से समर्पित करें।
श्री कृष्ण चालीसा का महत्त्व
पूजा के दौरान श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने से कृष्ण के दिव्य गुणों पर ध्यान करने का अवसर मिलता है। श्री कृष्ण चालीसा का नियमित पाठ सफलता, समृद्धि, उपलब्धि, खुशी, संतान, रोजगार और प्रेम का आशीर्वाद देने वाला माना जाता है। केवल जन्माष्टमी पर ही नहीं बल्कि कृष्ण जन्माष्टमी के मासिक उत्सव के दौरान भी श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है। 40 श्लोकों से बनी श्री कृष्ण चालीसा मन में शांति पैदा करती है और कहा जाता है कि यह विभिन्न आशीर्वाद प्रदान करती है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से कृष्ण चालीसा का पाठ करना अनिवार्य है, क्योंकि यह मन और तन को शांति प्रदान करने वाला है।
कृष्ण चालीसा करने के लाभ
कृष्ण चालीसा (Krishna Chalisa) का पाठ करने के लाभ:
- कृष्ण चालीसा का पाठ करने से भक्त को मानसिक और आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।
- इस चालीसा का पाठ करने से भक्त को हर छेत्र में वृद्धि मिलती है और व्यक्ति भगवान कृष्ण के प्रति अद्भुत महसूस करता है।
- कृष्ण चालीसा में ग्रंथ गीता के सिद्धांतों का समाहार किया गया है, जिससे भक्त कर्मयोगी बनता है।
- यह चालीसा व्यक्ति को आतमविश्वास प्रदान कर सही और धर्म की दिशा पर चलने के लिये प्रेरित करती है।
- कृष्ण चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति हर तरह के नकारात्मकता से सुरक्षित होता है और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है।
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