Shani Chalisa (शनि चालीसा): अपने शनि दोष को दूर करें

भगवान शनि, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता है। हिंदू ज्योतिष में, शनि की स्थिति व्यक्ति के जीवन और कर्म को प्रभावित करती है। शनि चालीसा (Shani Chalisa) भगवान शनि को समर्पित एक भक्ति भजन है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में शनि ग्रह का अवतार माना जाता है। शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है और कई भक्त उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए इस दिन व्रत रखते हैं और अनुष्ठान कर शनि चालीसा का भी पाठ करते है।

अवधी भाषा में रचित, शनि चालीसा में चालीस छंद या “चालीसा” शामिल है, जिनमें से प्रत्येक में भगवान शनि की स्तुति की जाती है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। माना जाता है कि शनि चालीसा के पाठ में भगवान शनि को प्रसन्न करने और शनि के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने की शक्ति होती है। शनि चालीसा के छंद भगवान शनि की विशेषताओं, किसी के कार्यों के न्यायाधीश के रूप में उनकी भूमिका और चुनौतियों पर काबू पाने में भक्ति और धार्मिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।

श्री शनि चालीसा (Shri Shani Chalisa Lyrics)

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।
मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

॥ दोहा ॥

पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

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Source:tv9hindi.com

शनि चालीसा करने की विधि :

  • शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें और साफ कपड़े पहनें.
  • काले, भूरे और स्लेटी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है.
  • पास के ही किसी मंदिर में जाएं.सरसों का तेल और काले तिल शनि देव को अर्पित करें.
  • शनि देव की पूजा करें और शनि चालीसा का पाठ करें.
  • घर में पूजा स्थान पर सरसों के तेल का दीपक लगाकर शनि देव का ध्यान करें.
  • संभव हो तो सरसों के तेल का दीपक लगाकर शनि चालीसा का पाठ करें.

शनि चालीसा के महत्व

शनि चालीसा (Shani Chalisa) विशेष रूप से शनि देव की कृपा प्राप्त करने और उनके अशुभ प्रभावों से रक्षा के लिए पाठ किया जाता है। इसके महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  1. शनि के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना: भगवान शनि को प्रसन्न करने और वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह से जुड़े हानिकारक प्रभावों से सुरक्षा पाने के लिए अक्सर शनि चालीसा का पाठ किया जाता है।
  2. अनुशासन और धार्मिकता को बढ़ावा देना: शनि देव अनुशासन और न्याय से जुड़े हैं। माना जाता है कि शनि चालीसा का पाठ करने से भक्तों के जीवन में अनुशासन और धार्मिकता की भावना पैदा होती है, जो उन्हें नैतिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  3. आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा: भक्तों का मानना ​​है कि शनि चालीसा का नियमित जाप आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति में योगदान दे सकता है।
  4. धैर्य बढ़ाना: शनि धैर्य के गुण से जुड़ा है, और चालीसा के माध्यम से भगवान शनि का आशीर्वाद प्राप्त करके, भक्त जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए धैर्य और सहनशक्ति विकसित करने की उम्मीद करते है।
  5. साढ़े साती से बचना: साढ़े साती साढ़े सात साल की अवधि है, जिसके दौरान शनि जन्म के चंद्रमा के बारहवें, पहले और दूसरे घर से होकर गुजरता है। भक्तों का मानना ​​है कि शनि चालीसा का पाठ करने से साढ़े साती से जुड़ी चुनौतियों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  6. अनुकूल ग्रहों के प्रभाव की तलाश: वैदिक ज्योतिष में, माना जाता है कि शनि की स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। शनि चालीसा का पाठ करना किसी के ज्योतिषीय चार्ट में अनुकूल ग्रह प्रभाव और संतुलन प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है।
  7. बाधाओं पर काबू पाना: ऐसा माना जाता है कि प्रार्थना व्यक्तियों को बाधाओं, चुनौतियों और कठिनाइयों पर काबू पाने में मदद करती है। भक्त जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में शक्ति के लिए भगवान शनि का आशीर्वाद मांगते हैं।

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