Shri Gopal Chalisa Lyrics | श्री गोपाल चालीसा

भगवान श्री कृष्ण हिंदू धर्म में सबके आराध्या माने गए हैं। हमेशा से अपनी भक्तों की रक्षा करना और अपने भक्त के भलाई के लिए उन्होंने ऐसे काम किए हैं जिससे यह कहाँ गया है कि उनकी लीला अपरंपार है। उनके भक्त उनसे बेहद प्रेम करते हैं जिसका वर्णन धार्मिक ग्रंथो में देखने को मिल जाता है। उन्होंने जहा पूतना और कंस जैसे राक्षसों का वध किया वहीं महाभारत में आकर अर्जुन को मार्गदर्शन दिया। भगवान कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी के भी पूजा की बहुत महत्त्वता है।

श्री कृष्ण के बाल अवतार को लड्डू गोपाल कहा जाता है जिन्हें अक्सर लोग अपने घर में रखते हैं और उनकी अपने बच्चों की तरह देखभाल करते हैं। उनको नहलाने से लेकर खाना खिलाने और सुलाने तक का लोग इंतजाम करते हैं और बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह उनका ख्याल करते हैं। लड्डू गोपाल की पूजा घर में हमेशा सुख समृद्धि लाती है और उनकी कृपा से घर में कभी भी वंश की कमी नहीं होती इसलिए लड्डू गोपाल के पूजा में गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa) का एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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श्री गोपाल चालीसा (Shri Gopal Chalisa Lyrics in Hindi)

।। दोहा ।।

श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।।

।। चौपाई ।।

जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै।

श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन मे बजत बधाये।

जो विष देन पूतना आई, सो मुक्ति दै धाम पठाई।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ, पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ।

खेल खेल में माटी खाई, मुख मे सब जग दियो दिखाई।
गोपिन घर घर माखन खायो, जसुमति बाल केलि सुख पायो।

ऊखल सों निज अंग बँधाई, यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई।
बका असुर की चोंच विदारी, विकट अघासुर दियो सँहारी।

ब्रह्मा बालक वत्स चुराये, मोहन को मोहन हित आये।
बाल वत्स सब बने मुरारी, ब्रह्मा विनय करी तब भारी।

काली नाग नाथि भगवाना, दावानल को कीन्हों पाना।
सखन संग खेलत सुख पायो, श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो।

चीर हरन करि सीख सिखाई, नख पर गिरवर लियो उठाई।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों, राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों।

नन्दहिं वरुण लोक सों लाये, ग्वालन को निज लोक दिखाये।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई, अति सुख दीन्हों रास रचाई।

अजगर सों पितु चरण छुड़ायो, शंखचूड़ को मूड़ गिरायो।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी, व्योमासुर मार्यो छल वेषी।

व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये, मारि कंस यदुवंश बसाये।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई, सान्दीपन गृह विघा पाई।

पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी, पे्रम देखि सुधि सकल भुलानी।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी, हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी।

भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये, सुरन जीति सुरतरु महि लाये।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे, खग मृग नृग अरु बधिक उधारे।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों, पाराि रथ सारथि यश लीन्हों।

गीता ज्ञान सिखावन हारे, अर्जुन मोह मिटावन हारे।
केला भक्त बिदुर घर पायो, युद्ध महाभारत रचवायो।

द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो, गर्भ परीक्षित जरत बचायो।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा, बावन कल्की बुद्धि मुनीशा।

ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो, राम रुप धरि रावण मार्यो।
जय मधु कैटभ दैत्य हनैया, अम्बरीय प्रिय चक्र धरैया।

ब्याध अजामिल दीन्हें तारी, शबरी अरु गणिका सी नारी।
गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन, देहु दरश धु्रव नयनानन्दन।

देहु शुद्ध सन्तन कर सग्ड़ा, बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रग्ड़ा।
देहु दिव्य वृन्दावन बासा, छूटै मृग तृष्णा जग आशा।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद, शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद।

जय जय राधारमण कृपाला, हरण सकल संकट भ्रम जाला।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी, जो सुमरैं जगपति गिरधारी।
जो सत बार पढ़ै चालीसा, देहि सकल बाँछित फल शीशा।

।। छन्द ।।

गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई।।

संसार सुख सम्पत्ति सकल, जो भक्तजन सन महँ चहैं।
ट्टजयरामदेव’ सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं।।

।। दोहा ।।

प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा—सिन्धु ब्रजेश।
चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश।।

श्री गोपाल चालीसा पढ़ने की विधि

गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • गोपाल चालीसा का पाठ करने से पहले लड्डू गोपाल को स्नान आदि करवा कर खुद भी शुद्ध हो जाए।
  • लड्डू गोपाल को अच्छे से तैयार करें और उन्हें भोग लगाए।
  • भोग में आप कोई भी मीठा चीज ले सकते हैं जैसे दही चीनी, मीठा चावल, गुड़ इत्यादि।
  • फिर गोपाल के सामने बैठकर उनके चालीसा का पाठ करें और उनसे आशीर्वाद ले।
  • चालीसा को समाप्त करने के बाद लड्डू गोपाल से अपनी मनोकामना व्यक्त करें।

श्री गोपाल चालीसा का महत्त्व

मान्यता है कि घर में लड्डू गोपाल रखकर उनकी सेवा और उनके चालीसा के पाठ से व्यक्ति के घर में कभी भी धन संपदा की कमी नहीं आती। श्री कृष्ण के अवतार लड्डू गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa) को पढ़ने से व्यक्ति के घर में कभी भी नकारात्मकता नहीं आती क्योंकि उन्होंने ही कंस जैसे पापी राक्षस का वध किया था। उनके चालीसा के पाठ से व्यक्ति हमेशा सदाचार की मार्ग पर चलता है और उसे कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन मिलता है। लड्डू गोपाल के चालीसा को पढ़ने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान का भविष्य अच्छा होता चला जाता है। खास कर निसंतान महिलाओं को एक तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए लड्डू गोपाल की सेवा में उनके चालीसा का भी बहुत महत्त्व है।

श्री गोपाल चालीसा के लाभ

लड्डू गोपाल चालीसा को पढ़ने से भक्त और उसके घर में बच्चों को कभी भी किसी तरह का रोग बीमारी नहीं होता और वह तंदुरुस्त बनते हैं। भक्त के सभी तरह के ग्रह दोष खत्म होते हैं और उसे किसी भी तरह के खास पूजा की जरूरत नहीं पड़ती इन दोषों के समापन के लिए।

लड्डू गोपाल चालीसा को प्रतिदिन पढ़ने से व्यक्ति के घर में धन, बल, बुद्धि की वृद्धि होती है और व्यक्ति की सारी तरह की मनोकामनाएँ पूर्ण होती है और वह लड्डू गोपाल के आशीर्वाद का भोगी बनता है।

श्री कृष्णा या लड्डू गोपाल को भगवान विष्णु का भी रूप माना गया है जिस वजह से इनके चालीसा के पाठ से हमें भगवान विष्णु की भी भक्ति मिलती है।

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