विश्वकर्मा चालीसा  | Shri Vishwakarma Chalisa

भगवान विश्वकर्मा की पूजा कलाकारों, बुनकरों, मूर्तिकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है। विश्वकर्मा जयंती पर, अधिकांश बड़ी और छोटी कार्यशालाएँ बंद रहती हैं, इस दिन को बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों में भगवान विश्वकर्मा की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए लोग न केवल अनुष्ठान करते हैं बल्कि उनकी चालीसा का पाठ भी करते हैं।

जो लोग नियमित रूप से विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) का पाठ करते हैं उन्हें अपने प्रयासों में सफलता मिलती है और उनका व्यवसाय और पेशा फलता-फूलता है। भगवान विश्वकर्मा की कृपा से कारखानों में मशीनें सुचारू रूप से और कुशलता से काम करती हैं। ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा चालीसा का नियमित जाप खुशी, सफलता और समग्र कल्याण को बढ़ाता है।

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विश्वकर्मा चालीसा (Shri Vishwakarma Chalisa Lyrics in Hindi)

।। दोहा ।।

विनय करौं कर जोड़कर मन वचन कर्म संभारि।

मोर मनोरथ पूर्ण कर विश्वकर्मा दुष्टारि।।

।। चौपाई ।।

विश्वकर्मा तव नाम अनूपा, पावन सुखद मनन अनरूपा।

सुन्दर सुयश भुवन दशचारी, नित प्रति गावत गुण नरनारी।

शारद शेष महेश भवानी, कवि कोविद गुण ग्राहक ज्ञानी।

आगम निगम पुराण महाना, गुणातीत गुणवन्त सयाना।

जग महँ जे परमारथ वादी, धर्म धुरन्धर शुभ सनकादि।

नित नित गुण यश गावत तेरे, धन्य धन्य विश्वकर्मा मेरे।

आदि सृष्टि महँ तू अविनाशी, मोक्ष धाम तजि आयो सुपासी।

जग महँ प्रथम लीक शुभ जाकी, भुवन चारि दश कीर्ति कला की।

ब्रह्मचारी आदित्य भयो जब, वेद पारंगत ऋषि भयो तब।

दर्शन शास्त्र अरु विज्ञ पुराना, कीर्ति कला इतिहास सुजाना।

तुम आदि विश्वकर्मा कहलायो, चौदह विद्या भू पर फैलायो।

लोह काष्ठ अरु ताम्र सुवर्णा, शिला शिल्प जो पंचक वर्णा।

दे शिक्षा दुख दारिद्र नाश्यो, सुख समृद्धि जगमहं परकाश्यो।

सनकादिक ऋषि शिष्य तुम्हारे, ब्रह्मादिक जै मुनीश पुकारे।

जगत गुरु इस हेतु भये तुम, तम-अज्ञान-समूह हने तुम।

दिव्य अलौकिक गुण जाके वर, विघ्न विनाशन भय टारन कर।

सृष्टि करन हित नाम तुम्हारा, ब्रह्मा विश्वकर्मा भय धारा।

विष्णु अलौकिक जगरक्षक सम, शिवकल्याणदायक अति अनुपम।

नमो नमो विश्वकर्मा देवा, सेवत सुलभ मनोरथ देवा।

देव दनुज किन्नर गन्धर्वा, प्रणवत युगल चरण पर सर्वा।

अविचल भक्ति हृदय बस जाके, चार पदारथ करतल जाके।

सेवत तोहि भुवन दश चारी, पावन चरण भवोभव कारी।

विश्वकर्मा देवन कर देवा, सेवत सुलभ अलौकिक मेवा।

लौकिक कीर्ति कला भण्डारा, दाता त्रिभुवन यश विस्तारा।

भुवन पुत्र विश्वकर्मा तनुधरि, वेद अथर्वण तत्व मनन करि।

अथर्ववेद अरु शिल्प शास्त्र का, धनुर्वेद सब कृत्य आपका।

जब जब विपति बड़ी देवन पर, कष्ट हन्यो प्रभु कला सेवन कर।

विष्णु चक्र अरु ब्रह्म कमण्डल, रूद्र शूल सब रच्यो भूमण्डल।

इन्द्र धनुष अरु धनुष पिनाका, पुष्पक यान अलौकिक चाका।

वायुयान मय उड़न खटोले, विद्युत् कला तंत्र सब खोले।

सूर्य चन्द्र नवग्रह दिग्पाला, लोक लोकान्तर व्योम पताला।

अग्नि वायु क्षिति जल अकाशा, आविष्कार सकल परकाशा।

मनु मय त्वष्टा शिल्पी महाना, देवागम मुनि पंथ सुजाना।

लोक काष्ठ, शिल ताम्र सुकर्मा, स्वर्णकार मय पंचक धर्मा।

शिव दधीचि हरिश्चंद्र भुआरा, कृत युग शिक्षा पालेऊ सारा।

परशुराम, नल, नील, सुचेता, रावण, राम शिष्य सब त्रेता।

द्वापर द्रोणाचार्य हुलासा, विश्वकर्मा कुल कीन्ह प्रकाशा।

मयकृत शिल्प युधिष्ठिर पायेऊ, विश्वकर्मा चरणन चित ध्यायेऊ।

नाना विधि तिलस्मी करि लेखा, विक्रम पुतली दृश्य अलेखा।

वर्णातीत अकथ गुण सारा, नमो नमो भय टारन हारा।

।। दोहा ।।

दिव्य ज्योति दिव्यांश प्रभु, दिव्य ज्ञान प्रकाश।

दिव्य दृष्टि तिहुँ कालमहँ विश्वकर्मा प्रभास।।

विनय करो करि जोरि, युग पावन सुयश तुम्हार।

धारि हिय भावत रहे होय कृपा उद्गार।।

।। छन्द ।।

जे नर सप्रेम विराग श्रद्धा सहित पढ़िहहि सुनि है।

विश्वास करि चालीसा चौपाई मनन करि गुनि है।।

भव फंद विघ्नों से उसे प्रभु विश्वकर्मा दूर कर।

मोक्ष सुख देंगे अवश्य ही कष्ट विपदा चूर कर।।

विश्वकर्मा चालीसा करने की विधि

विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
  • इसके बाद पूरे स्थान पर पवित्र गंगा जल छिड़कें। पूजा की शुरुआत वेदी पर एक पवित्र पात्र स्थापित करके करें, फिर एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद हाथों में फूल और अखंडित चावल के दाने लेकर अपने मन को एकाग्र करें।
  • सभी दिशाओं में फूल और चावल के दाने बिखेरते हुए चालीसा का जाप करते रहें।
  • देवता को श्रद्धांजलि के रूप में फल और मिठाइयाँ चढ़ाएँ।

विश्वकर्मा चालीसा का महत्त्व

विश्वकर्मा चालीसा हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक भक्ति भजन है। इस चालीसा में भगवान विश्वकर्मा के दिव्य गुणों का ऊलेख हैं। विभिन्न व्यवसायों में सफलता और कुशलता के लिए देवता का आशीर्वाद पाने के लिए चालीसा का पाठ किया जाता है।

अगर आप भगवान विश्वकर्मा की कृपा चाहते हैं तो विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करना शुभकारी माना गया है। चालीसा का पाठ करने से समृद्धि और सफलता मिलती है, व्यक्ति धनवान बनता है और उनके काम में प्रगति होती है।

विश्वकर्मा चालीसा से होने वाले लाभ

विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa) का पाठ करने के कई लाभ हैं:

  • विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करने से भक्त को किसी भी तरह के व्यापार क्षेत्र में सफलता और उन्नति मिल सकती है।
  • यह चालीसा व्यक्ति को आर्थिक सफलता प्रदान कर धन को सुरक्षित रखने में और उन्हे अच्छे कर्मो के लिए इस्तेमाल करने में मदद करती है।
  • विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति कुशल, यश्वान् तथा दीर्घायु होता है।
  • इस चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से मानसिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
  • यह चालीसा पढ़ने से भक्त किसी भी कार्य में सफल हो कर उसमें कामयाब होता है।

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