माता संतोषी जिनके पूजन से व्यक्ति के जीवन में संतोष या धैर्य आता है। संतोषी माता की पूजा अक्सर उत्तर भारत और नेपाल में की जाती है। माता के पूजन के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। भगवान गणेश और रिद्धि सिद्धि की पुत्री के रूप में पूजे जाने वाली मां संतोषी की महिमा इतनी अपार है कि उनके बस पूजन और उपवास मात्र से ही निसंतान औरत को भी संतान की प्राप्ति होती है। माता संतोषी पर बनाए गए फिल्म जय संतोषी मां के बाद से लोग माता के प्रति और समर्पित हुए। माता संतोषी की पूजा अर्चना के लिए उनका व्रत जो कि शुक्रवार के दिन किया जाता है सबसे उत्तम माना गया है उनके इस व्रत से महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है। इसी दिन उपवास के साथ-साथ संतोषी माँ चालीसा (Santoshi Maa Chalisa) का पाठ भी उत्तम माना गया है।
श्री संतोषी माँ चालीसा (Shri Santoshi Maa Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा॥
श्री गणपति पद नाय सिर, धरि हिय शारदा ध्यान ।
संतोषी मां की करुँ, कीर्ति सकल बखान॥
॥ चौपाई ॥
जय संतोषी मां जग जननी, खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी।
गणपति देव तुम्हारे ताता, रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता॥
माता पिता की रहौ दुलारी, किर्ति केहि विधि कहुं तुम्हारी।
क्रिट मुकुट सिर अनुपम भारी, कानन कुण्डल को छवि न्यारी॥
सोहत अंग छटा छवि प्यारी सुंदर चीर सुनहरी धारी।
आप चतुर्भुज सुघड़ विशाल, धारण करहु गए वन माला॥
निकट है गौ अमित दुलारी, करहु मयुर आप असवारी।
जानत सबही आप प्रभुताई, सुर नर मुनि सब करहि बड़ाई॥
तुम्हरे दरश करत क्षण माई, दुख दरिद्र सब जाय नसाई।
वेद पुराण रहे यश गाई, करहु भक्ता की आप सहाई॥
ब्रह्मा संग सरस्वती कहाई, लक्ष्मी रूप विष्णु संग आई।
शिव संग गिरजा रूप विराजी, महिमा तीनों लोक में गाजी॥
शक्ति रूप प्रगती जन जानी, रुद्र रूप भई मात भवानी।
दुष्टदलन हित प्रगटी काली, जगमग ज्योति प्रचंड निराली॥
चण्ड मुण्ड महिषासुर मारे, शुम्भ निशुम्भ असुर हनि डारे।
महिमा वेद पुरनन बरनी, निज भक्तन के संकट हरनी ॥
रूप शारदा हंस मोहिनी, निरंकार साकार दाहिनी।
प्रगटाई चहुंदिश निज माय, कण कण में है तेज समाया॥
पृथ्वी सुर्य चंद्र अरु तारे, तव इंगित क्रम बद्ध हैं सारे।
पालन पोषण तुमहीं करता, क्षण भंगुर में प्राण हरता॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावैं, शेष महेश सदा मन लावे।
मनोकमना पूरण करनी, पाप काटनी भव भय तरनी॥
चित्त लगय तुम्हें जो ध्यात, सो नर सुख सम्पत्ति है पाता।
बंध्या नारि तुमहिं जो ध्यावैं, पुत्र पुष्प लता सम वह पावैं॥
पति वियोगी अति व्याकुलनारी, तुम वियोग अति व्याकुलयारी।
कन्या जो कोइ तुमको ध्यावै, अपना मन वांछित वर पावै॥
शीलवान गुणवान हो मैया, अपने जन की नाव खिवैया।
विधि पुर्वक व्रत जो कोइ करहीं, ताहि अमित सुख संपत्ति भरहीं॥
गुड़ और चना भोग तोहि भावै, सेवा करै सो आनंद पावै ।
श्रद्धा युक्त ध्यान जो धरहीं, सो नर निश्चय भव सों तरहीं॥
उद्यापन जो करहि तुम्हार, ताको सहज करहु निस्तारा।
नारी सुहगन व्रत जो करती, सुख सम्पत्ति सों गोदी भरती॥
जो सुमिरत जैसी मन भावा, सो नर वैसों ही फल पावा।
सात शुक्र जो व्रत मन धारे, ताके पूर्ण मनोरथ सारे॥
सेवा करहि भक्ति युक्त जोई, ताको दूर दरिद्र दुख होई।
जो जन शरण माता तेरी आवै, ताके क्षण में काज बनावै॥
जय जय जय अम्बे कल्यानी. कृपा करौ मोरी महारानी।
जो कोइ पढै मात चालीस, तापै करहीं कृपा जगदीशा॥
नित प्रति पाठ करै इक बार, सो नर रहै तुम्हारा प्य्रारा ।
नाम लेत बाधा सब भागे, रोग द्वेष कबहूँ ना लागे॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास॥
॥ इति संतोषी माता चालीसा ॥
संतोषी चालीसा पढ़ने की विधि
संतोषी माँ चालीसा (Santoshi Maa Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- श्री संतोषी माता के चालीसा को पढ़ने के लिए शुक्रवार का दिन अति उत्तम माना गया है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात किसी वेदी पर कपड़ा बिछा कर संतोषी मां के चित्र या मूर्ति को स्थापित कर ले।
- माता को श्रृंगार के रूप में पीले या लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- माता को गुड़ और चने का भोग लगाए।
- माता के आगे घी का दीपक जलाकर माता के आह्वान के लिए प्रार्थना करें।
- संतोषी माता के चालीसा का अर्थ सहित पाठ करें और उनसे अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
- पूजा अर्चना के पश्चात उनके चढ़ाए गए भोग में से कुछ प्रसाद लेकर ग्रहण कर ले।
संतोषी चालीसा का महत्व
माता संतोषी की पूजा सबसे पहले उत्तर प्रदेश की महिलाओं के द्वारा साल 1960 में की गई थी ।संतोषी माता का चालीसा उनके दिव्या चरित्र को वर्णन करते हुए एक अहम भक्ति भजन है। जिसमें उनके द्वारा अपने भक्तों पर किए गए उपकारों का उल्लेख है। जो इस चालीसा का नित्य दिन पाठ करता है उसे मां के दिव्य आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। कलयुग में अति शीघ्र प्रश्न होकर भक्तों को मनवांछित फल देने वाली संतोषी मां अपने भक्तों को हर प्रकार के सुख का भोगी बनती है। इस चालीसा को पढ़ने से माता संतोषी अपने भक्त की स्वयं रक्षक बनती है और उन्हें हर कष्टों से बाहर करती है। माता के दयालु स्वभाव और अति शीघ्र कृपा करने वाले गुण के वजह से उनका चालीसा एक भक्त के लिए अत्यधिक महत्व रखता है।
संतोषी चालीसा के लाभ
संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) का पाठ करने के लाभ:
- श्री संतोषी चालीसा के पाठ से व्यक्ति की गरीबी दूर हो जाती है और वह आर्थिक रूप से मजबूत हो जाता है।
- नित्य दिन संतोषी चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति के जीवन से अज्ञानता दूर होती है और संतोषी मां उनकी शत्रुओं से रक्षा करती है।
- संतोषी मां के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति के जीवन की सारी तकलीफों का अंत होता है और उसे हर तरह की संपत्ति की प्राप्ति होती है।
- संतोषी माता के चालीसा को पढ़ने से कुंवारी लड़कियों को इच्छा अनुसार वर की प्राप्ति होती है।
- संतोषी माता के चालीसा को पढ़ने से स्वयं नारायण की कृपा उसे व्यक्ति पर होती है और वह अपने जीवन में कभी भी अभाव महसूस नहीं करता।
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