हमारे हिंदू धर्म में व्यक्ति का कुंडली एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि इसी कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के जीवन में चल रही वर्तमान घटनाओं और आगे होने वाली प्रतिकूलताओं का ज्ञान होता है। इस कुंडली को बनाने वाले होते हैं वह नवग्रह जो इस पूरे ब्रह्मांड का जरूरी हिस्सा माने गए हैं। नौ ग्रहों के बिना हम इस ब्रह्मांड की कल्पना भी नहीं कर सकते। माना गया है कि यह नौ ग्रह यानी सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु हमारे कर्मों के अनुसार उसका परिणाम नियंत्रित करते हैं।
यह नवग्रह मनुष्य के जीवन में इतने जरूरी हैं कि उनसे ही यह तय होता है कि एक मनुष्य का स्वास्थ्य, उसकी शिक्षा, उसका ज्ञान, धन संपत्ति वैभव की क्या दशा है। अगर किसी व्यक्ति की वर्तमान स्थितियों या उसके आने वाले समय के बारे में कुछ अनुमान लगाना हो तो अक्सर ज्योतिष आचार्य इन नौ ग्रहों का ही सहारा लेते हैं क्योंकि उनके ही दशा पर व्यक्ति का जीवन निर्धारित होता है। मनुष्य के जीवन में अक्सर ऐसी मुश्किलें आ जाती है जिन में वह यह नहीं समझ पाता कि इन मुश्किलों का हल क्या हो सकता है और यह मुश्किलें ही इनो ग्रह में से किसी ग्रह के दोषों का परिणाम होता है इस नौ ग्रह की शांति के लिए भक्त नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करते हैं।
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय ।
नवग्रह चालीसा कहत, शारद होत सहाय ॥
जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज।
जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज ॥
॥ चौपाई ॥
॥ श्री सूर्य स्तुति ॥
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा ।
हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू ।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा ।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर ।
॥ श्री चन्द्र स्तुति ॥
शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि ।
राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा ।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर ।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा ।
॥ श्री मंगल स्तुति ॥
जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता ।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी ।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी ।
अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै ।
॥ श्री बुध स्तुति ॥
जय शशि नन्दन बुध महाराजा, करहु सकल जन कहं शुभ काजा ।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना, कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा ।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन, चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन ।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी, प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी ।
॥ श्री बृहस्पति स्तुति ॥
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा, करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा ।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी, इन्द्र पुरोहित विद्यादानी ।
वाचस्पति बागीश उदारा, जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा ।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा, करहुं सकल विधि पूरण कामा ।
॥ श्री शुक्र स्तुति ॥
शुक्र देव पद तल जल जाता, दास निरन्तन ध्यान लगाता ।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन, दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन ।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी, हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी ।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा, नर शरीर के तुमही राजा ।
॥ श्री शनि स्तुति ॥
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन, जय कृष्णो सौरी जगवन्दन ।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा, वप्र आदि कोणस्थ ललामा ।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा, क्षण महं करत रंक क्षण राजा ।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला, हरहुं विपत्ति छाया के लाला ।
॥ श्री राहु स्तुति ॥
जय जय राहु गगन प्रविसइया, तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया ।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा, शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा ।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा, अर्धकाय जग राखहु लाजा ।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु, सदा शान्ति और सुख उपजावहु ।
॥ श्री केतु स्तुति ॥
जय श्री केतु कठिन दुखहारी, करहु सुजन हित मंगलकारी ।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला, घोर रौद्रतन अघमन काला ।
शिखी तारिका ग्रह बलवान, महा प्रताप न तेज ठिकाना ।
वाहन मीन महा शुभकारी, दीजै शान्ति दया उर धारी ।
॥ नवग्रह शांति फल ॥
तीरथराज प्रयाग सुपासा, बसै राम के सुन्दर दासा ।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी, दुर्वासाश्रम जन दुख हारी ।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु, जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै, सब सुख भोगि परम पद पावै ॥
॥ दोहा ॥
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार ।
चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार ॥
यह चालीसा नवोग्रह, विरचित सुन्दरदास ।
पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख, सर्वानन्द हुलास ॥
॥ इति श्री नवग्रह चालीसा ॥
नवग्रह चालीसा पढ़ने की विधि
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- नवग्रह चालीसा का पाठ किसी अच्छे और शुभ दिन से शुरू करें आप पूर्णिमा या शुक्ल पक्ष से शुरू कर सकते हैं।
- स्नान और पूजा स्थान के साफ सफाई के पश्चात नौ ग्रह के नाम पर 9 दीपक जला दे।
- आप प्रसाद के रूप में नैवेद्य अर्पित कर सकते हैं और नौ ग्रह से प्रार्थना करने के बाद उनकी चालीसा का पाठ करें।
- नौ ग्रह को याद कर कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे तथा अपनी मंगल की कामना करें।
नवग्रह चालीसा का महत्त्व
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) में नौ ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति शुक्र, शनि, राहु और केतु की स्तुति की गई है हर ग्रह के गुणों के बारे वर्णन किया गया है। हर एक ग्रह की स्तुति से मनुष्य जीवन का किस प्रकार कल्याण हो सकता है इस चालीसा में उसका खूब विस्तार से वर्णन है। नौ ग्रह चालीसा को पढ़ने मात्र से व्यक्ति के जीवन के हर कष्टों का निवारण होता है तथा व्यक्ति के जीवन में इन ग्रहों की दशा हमेशा अच्छी बनी रहती है। नवग्रह चालीसा इतना महत्त्वपूर्ण है कि उसके पाठ से अन्य देवी देवताओं का आशीर्वाद भी व्यक्ति प्राप्त कर लेता है और उसके घर में सदैव शांति बनी रहती है। व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार नौ ग्रह के मंत्रो और उनके चालीसा को पड़ता है जिससे उसके अपने कर्म में सुधार आता है वह हमेशा हर परिस्थिति में सफल होता है।
नवग्रह चालीसा से होने वाले लाभ
नवग्रह चालीसा (Navgrah Chalisa) पढ़ने से व्यक्ति कभी भी बुद्धिहीन नहीं होता और उसके जीवन में चल रहे कष्टों का अंत होता है। चालीसा के पाठ से उसके द्वारा की गई गलतियों के लिए उसे क्षमा मिल जाती है।
नव ग्रह चालीसा को पढ़ने से भक्ति को आत्मिक और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में रोग और बीमारियाँ ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाती।
नवग्रह चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति को सौंदर्य और अच्छी काया की प्राप्ति होती है और उनकी सारी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
नवग्रह के चालीसा को पढ़ने से हमारे जीवन में इन ग्रहों की दशा हमेशा अच्छी बनी रहती है और 3 महीने लगातार इस चालीसा के पाठ से व्यक्ति को इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है।
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