श्री नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa): जय जय नर्मदा भवानी

हिन्दू धर्म में पर्वतों, नदियों, पशु-पक्षियों और तत्वों के प्रति गहरी श्रद्धा है। इन प्राकृतिक संसाधनों को अधिक सम्मान से रखा जाता है। ऐसी ही एक नदी है नर्मदा, जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर बहती है। नर्मदा नदी इन राज्यों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए जीवन रेखा मानी जाती है। इन्हे नर्मदा माता के रूप में पवित्र दर्जा प्राप्त है, जिसका आशीर्वाद स्वयं भगवान शिव ने उन्हें दिया है। जो भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनके जल में स्नान करते हैं, उनका मानना है कि वह उन्हें उनके सारे पापों से मुक्ती मिलती हैं, चाहे वे जानबूझकर या अनजाने में किए गए हों।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) एक महत्त्वपूर्ण जप है जो माँ नर्मदा को समर्पित है। इस दिव्य चालीसा के पाठ से, भक्त को माँ नर्मदा के आशीर्वाद से शांति, बुद्धि और विवेक मिलती है। नर्मदा चालीसा माँ नर्मदा के गुणों और उनकी परोपकारता की प्रशंसा करती है, जो उनके भक्तों के दुखों और कष्टों के बोझ हल्का करता है। यह पवित्र चालीसा नर्मदा माता की पूजा के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।

नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa lyrics)

श्री नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa Lyrics in Hindi)

॥ दोहा ॥

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार ।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

इनकी सेवा से सदा, मिटते पाप महान ।
तट पर कर जप दान नर, पाते हैं नित ज्ञान ॥

॥ चौपाई ॥

जय-जय-जय नर्मदा भवानी,
तुम्हरी महिमा सब जग जानी ।

अमरकण्ठ से निकली माता,
सर्व सिद्धि नव निधि की दाता ।

कन्या रूप सकल गुण खानी,
जब प्रकटीं नर्मदा भवानी ।

सप्तमी सुर्य मकर रविवारा,
अश्वनि माघ मास अवतारा ॥4

वाहन मकर आपको साजैं,
कमल पुष्प पर आप विराजैं ।

ब्रह्मा हरि हर तुमको ध्यावैं,
तब ही मनवांछित फल पावैं ।

दर्शन करत पाप कटि जाते,
कोटि भक्त गण नित्य नहाते ।

जो नर तुमको नित ही ध्यावै,
वह नर रुद्र लोक को जावैं ॥8

मगरमच्छा तुम में सुख पावैं,
अंतिम समय परमपद पावैं ।

मस्तक मुकुट सदा ही साजैं,
पांव पैंजनी नित ही राजैं ।

कल-कल ध्वनि करती हो माता,
पाप ताप हरती हो माता ।

पूरब से पश्चिम की ओरा,
बहतीं माता नाचत मोरा ॥12

शौनक ऋषि तुम्हरौ गुण गावैं,
सूत आदि तुम्हरौं यश गावैं ।

शिव गणेश भी तेरे गुण गवैं,
सकल देव गण तुमको ध्यावैं ।

कोटि तीर्थ नर्मदा किनारे,
ये सब कहलाते दु:ख हारे ।

मनोकमना पूरण करती,
सर्व दु:ख माँ नित ही हरतीं ॥16

कनखल में गंगा की महिमा,
कुरुक्षेत्र में सरस्वती महिमा ।

पर नर्मदा ग्राम जंगल में,
नित रहती माता मंगल में ।

एक बार कर के स्नाना,
तरत पिढ़ी है नर नारा ।

मेकल कन्या तुम ही रेवा,
तुम्हरी भजन करें नित देवा ॥20

जटा शंकरी नाम तुम्हारा,
तुमने कोटि जनों को है तारा ।

समोद्भवा नर्मदा तुम हो,
पाप मोचनी रेवा तुम हो ।

तुम्हरी महिमा कहि नहीं जाई,
करत न बनती मातु बड़ाई ।

जल प्रताप तुममें अति माता,
जो रमणीय तथा सुख दाता ॥24

चाल सर्पिणी सम है तुम्हारी,
महिमा अति अपार है तुम्हारी ।

तुम में पड़ी अस्थि भी भारी,
छुवत पाषाण होत वर वारि ।

यमुना मे जो मनुज नहाता,
सात दिनों में वह फल पाता ।

सरस्वती तीन दीनों में देती,
गंगा तुरत बाद हीं देती ॥28

पर रेवा का दर्शन करके
मानव फल पाता मन भर के ।

तुम्हरी महिमा है अति भारी,
जिसको गाते हैं नर-नारी ।

जो नर तुम में नित्य नहाता,
रुद्र लोक मे पूजा जाता ।

जड़ी बूटियां तट पर राजें,
मोहक दृश्य सदा हीं साजें ॥32

वायु सुगंधित चलती तीरा,
जो हरती नर तन की पीरा ।

घाट-घाट की महिमा भारी,
कवि भी गा नहिं सकते सारी ।

नहिं जानूँ मैं तुम्हरी पूजा,
और सहारा नहीं मम दूजा ।

हो प्रसन्न ऊपर मम माता,
तुम ही मातु मोक्ष की दाता ॥35

जो मानव यह नित है पढ़ता,
उसका मान सदा ही बढ़ता ।

जो शत बार इसे है गाता,
वह विद्या धन दौलत पाता ।

अगणित बार पढ़ै जो कोई,
पूरण मनोकामना होई ।

सबके उर में बसत नर्मदा,
यहां वहां सर्वत्र नर्मदा ॥40

॥ दोहा ॥

भक्ति भाव उर आनि के, जो करता है जाप ।
माता जी की कृपा से, दूर होत संताप॥

॥ इति श्री नर्मदा चालीसा ॥

नर्मदा चालीसा पढ़ने की विधि

माता नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) को पढ़ने की कोई खास विधि नहीं है भक्त बस इस सच्चे और साफ मन से पढ़ कर माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी दिन स्नान और नित्य कर्म से मुक्त होकर अपने लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान खोजे, हो सके तो माता नर्मदा के चित्र को अपने सामने रख ले क्योंकि उनका चित्र आसानी से हर जगह उपलब्ध नहीं होता, अगर चित्र मिलता है तो उसे वेदी पर रख ले और नहीं तो अपने मन में ही माता नर्मदा को याद करके उनसे प्रार्थना करें।

प्रसाद के रूप में आप किसी भी फल या मिठाई का सेवन कर सकते हैं, भोग लगाने के पश्चात उनके चालीसा का पाठ करें, हो सके तो आप उसे अर्थ के साथ पढ़े, आप उनके चालीसा को मोबाइल या टीवी में भी सुन सकते हैं।

नर्मदा चालीसा का महत्त्व

माँ नर्मदा को एक देवी के रूप में भी पूजा जाता है जो अपने भक्तों को खुशी प्रदान करती है। इसलिए, जब कोई माँ नर्मदा की चालीसा का जाप करता है, तो उसके मन को शांति मिलती है और सभी प्रकार के गलत काम खत्म हो जाते हैं। नर्मदा चालीसा (Narmada Chalisa) का पाठ करने से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। माँ नर्मदा द्वारा प्रदान की गई कृपा से व्यक्ति को विजय, ज्ञान, प्रचुरता, अधिकार और दूरदर्शिता प्राप्त होती है। माँ नर्मदा के प्रभाव से व्यक्ति आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से उन्नति करता है। जो व्यक्ति नर्मदा चालीसा का जाप करता है वह सुख का भागीदार बनता है, उसे किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट नहीं होता। माता नर्मदा की कृपा उसके पूरे खानदान पर होती है और वह सदैव सफलता के पथ पर आगे बढ़ता है।

नर्मदा चालीसा पढ़ने के लाभ

  1. माता नर्मदा चालीसा के पाठ के माध्यम से, भक्त एक गहरा आत्मिक सम्बंध अनुभव करता है। यह पवित्र चालीसा न केवल भक्ति की भावना प्रदान करता है बल्कि धर्म के प्रति विशवास को बढ़ावा देता है।
  2. चालीसा पढ़ने से दोनों ही पारिवारिक और सामाजिक कल्याण बढ़ती है। यह भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करता है।
  3. माँ नर्मदा की पूजा करके और चालीसा का पाठ करके, भक्त प्रकृति के संरक्षण के प्रति अपनी चेतना को बढ़ाते हैं और सांस्कृतिक प्रचुरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  4. माँ नर्मदा की कृपा से, चालीसा का जाप व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होता है और उन्हें कभी भी वित्तीय परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

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