हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa), भक्ति संगीत की एक महान रचना है, जिसे तुलसीदास ने लिखा था। यह एक प्राचीन हिन्दी काव्य है, जिसे 16वीं शताब्दी के दौरान तुलसीदास ने रचा था। हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान की उपासना की गई है, और इसमें उनके महान कार्यों, शौर्य और भक्ति का वर्णन किया गया है।
गोस्वामी तुलसीदास भारतीय इतिहास में महान कवि और संत थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय भगवान राम की उपासना में बिताया। उनकी अन्य कृतियों में “रामचरितमानस”, “विनय पत्रिका” और “दोहावली” शामिल हैं। तुलसीदास के काव्य में भगवान राम के प्रति उनकी गहरी भक्ति और समर्पण का स्पष्ट दर्शन होता है।
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हनुमान चालीसा में 40 पंक्तियां होती हैं, जिससे इसे ‘चालीसा’ कहा जाता है। चालीसा अरबी शब्द ‘चालीस’ से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘चालीस’. इस काव्य में भगवान हनुमान की उपासना की गई है, और उनके शौर्य, बल, बुद्धि, और भक्ति के गुणों की प्रशंसा की गई है।
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की शक्ति और महत्व को मान्यता दी जाती है। इसे पढ़ने और सुनने से मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन की कठिनाईयों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह भगवान हनुमान की कृपा को आकर्षित करने का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है।
तुलसीदास ने हनुमान चालीसा को 16वीं शताब्दी में लिखा, जो मुग़ल काल के दौरान था। इस समय पर भारत में साहित्यिक और धार्मिक चिंतन का एक महत्वपूर्ण दौर था। तुलसीदास की रचनाएं इस समय की धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना को प्रस्तुत करती हैं।
इस प्रकार, हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) भारतीय संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भक्ति, आस्था, और शक्ति का प्रतीक है, और यह दिखाता है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति अपनी आस्था और समर्पण के बल पर अद्भुत शक्तियां प्राप्त कर सकता है।
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