सनातन धर्म में भगवान कुबेर को एक विशेष स्थान प्राप्त है उन्हें यक्षकों का राजा एवं भगवान शिव का द्वारपाल माना गया है। जहाँ भगवान कुबेर के तीन भाइयों राव, ण कुंभकरण और विभीषण की उतनी मान्यता नहीं है वही भगवान कुबेर को सद्गुणों वाला और उत्तर दिशा के स्वामी के रूप में देखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कुबेर देवता भगवान शिव के परम भक्त हैं इस वजह से उन्हें नौ निधियाँ की भी प्राप्ति है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान कुबेर स्थायी धन के देवता है। जो भगवान कुबेर की पूजा अर्चना एवं चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती और वह हमेशा ही आर्थिक रूप से मजबूत बना रहता है। भगवान कुबेर के यंत्र का भी बहुत मान है, जिसके घर में धन की कमी होती है या जो आर्थिक रूप से कमजोर होता है उसे अपने घर में कुबेर यंत्र को स्थापित कर कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है।
श्री कुबेर चालीसा (Shri Kuber Chalisa Lyrics in Hindi)
॥ दोहा ॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो,धन माया के ढ़ेर॥
जैसे अटल हिमालय,और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी।
धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥
स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी।
सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥
महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं।
भगत जनों के संकट टारैं॥
प्रपितामह हैं स्वयं विधाता।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता।
विभीषण भगत आपके भ्राता॥
शिव चरणों में जब ध्यान लगाया।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया।
अमृत पान करी अमर हुई काया॥
धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में।
देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥
स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥
चौंसठ योगनी मंगल गावैं।
ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥
ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥
भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥
कांधे धनुष हाथ में भाला।
गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला।
दूर दूर तक होए उजाला॥
कुबेर देव को जो मन में धारे।
सदा विजय हो कभी न हारे॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥
कुबेर गरीब को आप उभारैं।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥
शीघ्र धनी जो होना चाहे।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥
भूत प्रेत को कुबेर भगावैं।
अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥
कुबेर चढ़े को और चढ़ादे।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे।
कुबेर भूले को राह बता दे॥
प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥
बांझ की गोद कुबेर भरा दे।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥
कोर्ट केस में कुबेर जितावै।
जो कुबेर को मन में ध्यावै॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥
पाठ करे जो नित मन लाई।
उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई।
उसका जीवन चले सुखदाई॥
जो कुबेर का पाठ करावै।
उसका बेड़ा पार लगावै॥
उजड़े घर को पुन: बसावै।
शत्रु को भी मित्र बनावै॥
सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई।
सब सुख भोग पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥
॥ दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,दया की दृष्टि फेर॥
कुबेर चालीसा पढ़ने की विधि
कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- भगवान कुबेर का चालीसा के पाठ करने के लिए स्नान के पश्चात पूजा स्थान की साफ सफाई कर लें।
- इसके बाद भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी के चित्र को उत्तर दिशा में रखकर उसके सामने बैठ जाएँ।
- देवता एवं देवी को फूल आदि अर्पित कर-कर उनके आगे मीठे का भोग लगा दे।
- भगवान कुबेर के मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः” का जाप करके उनके आह्वान की प्रार्थना करें।
- इसके पश्चात भगवान कुबेर के चालीसा का पाठ करें और हो सके तो उनके साथ ही माता लक्ष्मी के पाठ को भी पढ़ ले।
- भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी के आरती से अपने पाठ का समापन करें।
कुबेर चालीसा का महत्त्व
कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) भगवान कुबेर को समर्पित अवधी भाषा में लिखित 40 छंदों की भक्ति भजन है जिसमें भगवान कुबेर के गुणों का वर्णन है। इस चालीसा के अनुसार भगवान कुबेर बहुत ही दयालु है और वह अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रश्न हो जाते हैं। भगवान कुबेर के चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति के घर में समृद्धि आती है और वह वित्तीय संकटों से उभरता है। भक्तों का मानना है कि में इस चालीसा के श्लोक को पढ़ने से भगवान कुबेर की दिव्या कृपा प्राप्त होती है और उन्हें हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। व्यापारियों का इस चालीसा का पाठ करना अति उत्तम माना गया है। इस चालीसा से भक्त कुबेर देवता का आह्वान करते हैं और बंधनों से मुक्त होते है।
कुबेर चालीसा से होने वाले लाभ
भगवान कुबेर के चालीसा के पाठ से भक्त के जीवन में धन यश और संपत्ति की कभी कमी नहीं आती और वह सदैव अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
जिन लोगों पर कर्ज का बोझ हद से ज्यादा बढ़ जाता है उन्हें कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए जिससे उसका बड़ा से बड़ा कर्ज उतर जाता है।
कुबेर चालीसा का पाठ उन व्यक्तियों के-के लिए सर्वोत्तम माना गया है जो किसी भी तरह का व्यापार शुरू कर रहे हैं या फिर व्यापार में उन्हें कोई लाभ नहीं हो रहा है क्योंकि ऐसा करने से उनके जीवन में धन की गति बढ़ जाती है।
कुबेर चालीसा को पढ़ने से व्यक्ति भय और रोग से दूर होता है और जीवन में हताश हो रहे मनुष्य को भी हर क्षेत्र में सफलता मिलती चली जाती है। इस चालीसा को पढ़ने से भक्त के बड़े से बड़े शत्रु भी उसके मित्र बन जाते हैं।
नित्य दिन कुबेर चालीसा के पाठ से निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है, कोर्ट कचहरी के मामलों में लाभ होता है और व्यक्ति के द्वारा बटोर हुए धन की रक्षा स्वयं भगवान कुबेर करते हैं। जो भक्त अपने परिवार के सहित कुबेर देवता के चालीसा को पढ़ता है वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में जगह पाता है।
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