हिंदू धर्म में, विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है, और माना जाता है कि सर्वोच्च देवता भगवान शिव की पूजा या ध्यान हमें सभी दुखों और भय से मुक्त करता है। कहा जाता है कि प्रतिदिन उचित उच्चारण के साथ शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इसके नियमित पाठ से न केवल सभी कष्ट दूर होते हैं बल्कि चुनौतीपूर्ण कार्य भी संभव हो जाते हैं। शिव चालीसा में भगवान शिव की स्तुति की जाती है और वैसे तो इसका पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को समर्पित सोमवार के दिन इसका पाठ करना विशेष शुभ माना जाता है, जिससे विशेष लाभ मिलता है।
शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics in Hindi)
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
॥ श्री शिव चालीसा संपूर्ण ॥
शिव चालीसा करने की सही विधि
शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:
- सुबह जल्दी उठें और स्नान कर, साफ कपड़े पहन कर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
- भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें और सामने घी का दीपक जलाएं।
- मूर्ति के पास शुद्ध जल और गंगा जल से भरा तांबे का पात्र रखें।
- धूप, दीप, सफेद चंदन की माला और पांच अक्षत पुष्पों से पूजा करें।
- प्रसाद के रूप में मिश्री रखें। शिव चालीसा का पाठ शुरू करने से पहले गाय के घी का दीपक जलाएं।
- पाठ में लय और माधुर्य का समावेश करें। एक बार जब पाठ समाप्त हो जाए, तो पवित्र बर्तन से पानी अपने पूरे घर में छिड़कें।
शिव चालीसा का महत्व
हिंदू धर्म में शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का महत्व बहुत अधिक है, शिव चालीसा का निरंतर पाठ करने से भगवान शिव के प्रति व्यक्ति का जुड़ाव और भक्ति गहरी होती है, आध्यात्मिक विकास और समर्पण की भावना को बढ़ावा मिलता है। माना जाता है कि शिव चालीसा भावनात्मक स्थिरता लाती है, जिससे व्यक्तियों को तनाव, चिंता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद मिलती है। ऐसा भी माना जाता है कि यह चालीसा बाधाओं और चुनौतियों को दूर करता है, लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट मार्ग प्रदान करता है।
शिव चालीसा का नियमित जप तनाव कम करके अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देकर शारीरिक कल्याण में योगदान देता है। चालीसा को आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने, आत्मनिरीक्षण को प्रोत्साहित करने और भावना को बढ़ावा देने के लिए एक ज़रूरी उपकरण माना जाता है। कहा जाता है कि शिव चालीसा का अभ्यास करने से दूसरों के प्रति करुणा, सहानुभूति और दयालुता के गुण विकसित होते हैं।
शिव चालीसा का पाठ करने से रोग की रोकथाम में मदद मिल सकती है, जो समग्र कल्याण का समर्थन करता है।
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