जब माता सती ने अपने शरीर को हवन कुंड में भस्म किया था तब उनके शरीर के 51 टुकड़े भगवान विष्णु के द्वारा किए गए थे और वह टुकड़े जहां-जहाँ गिरे थे वहाँ पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ था ऐसा माना गया है कि शक्तिपीठ स्थापित होने के बाद देवी ने जब पुनर्जन्म लिया तो उन्होंने विंध्य नामक पर्वत पर अपना निवास चुना था जिस वजह से उन्हें विंधेश्वरी या विंध्यवासिनी देवी के नाम से जाना जाता है, विंध्यवासिनी का सरल अर्थ है विंध्य पर निवास करने वाली, माता दुर्गा के रूप होने के कारण उन्हें यह नाम विंध्य पर्वत से ही मिला था।
विंध्याचल धाम जो कि उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले में माँ गंगा के तट पर स्थित एक शक्तिपीठ है जिससे माँ विंधेश्वरी के निवास का और एक अहम तीर्थ स्थान माना गया है। देवी आदि शक्ति ने राक्षस महिषासुर के वध के बाद इस धाम को अपने निवास स्थान के रूप में चुना था। माता विंधेश्वरी की पूजा माता दुर्गा और उनके अनेक रूपों से भिन्न नहीं है, जो भक्त माता विंधेश्वरी के आशीर्वाद को पाना चाहते हैं वह अपनी पूजा में माता विंधेश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa) को भी शामिल करते हैं जिससे माता भक्तों पर प्रसन्न होकर उन पर सदैव अपनी कृपा बनाए रहती है।
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa Lyrics in Hindi)
।श्री गणेशाय नमः।
श्री स्वामी सामर्थाय नमः ।
॥ दोहा ॥
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥
सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥
कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥
रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10
तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥
तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥
अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥
चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥
पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥
बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥
जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥
नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥
जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20
कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥
विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥
जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥
निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥
जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥
जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥
निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥
जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30
जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥
पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥
यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥
जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40
॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा ॥
॥ श्रीगुरुदत्तात्रेयार्पणमस्तु ॥
॥ श्री स्वामी समर्थापर्ण मस्तु ॥
श्री विंधेश्वरी चालीसा पढ़ने की विधि
माता विंधेश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa) को पढ़ने की विधि बहुत ही आसान और सरल है जैसे हम माता दुर्गा की पूजा करते हैं वैसे ही हम माता विंधेश्वरी की भी पूजा कर सकते हैं।
स्नान और नित्य कर्म से मुक्त होकर अगर आपके पास माता विंधेश्वरी की कोई चित्र उपलब्ध है तो आप उसे उपयोग कर सकते हैं और नहीं तो आप माँ दुर्गा के भी चित्र को पूजा में उपयोग कर सकते हैं।
माता विंधेश्वरी को लाल फूल और शृंगार के रूप में चूड़ी या फिर आलता समर्पित कर सकते हैं।
आप माता को किसी भी तरह के मिष्ठान का भोग लगा सकते हैं।
माता को भोग लगाने के बाद उनके चालीसा का अर्थ सहित पाठ करें या आप उनके चालीसा को पूजा स्थान पर बैठकर ध्यान मग्न होकर सुन भी सकते हैं।
श्री विंधेश्वरी चालीसा का महत्त्व
श्री विंधेश्वरी चालीसा माँ विंधेश्वरी के गुणों को समर्पित 40छंदों का एक भक्ति गीत है जो की माता के आदिशक्ति स्वरूप में उनकी महिमाओं का बखान करता है। चालीसा के माध्यम से भक्त अपने जीवन में चल रहे संघर्षों और दुखों से निवारण पाते है। इस चालीसा में माँ के बहुत सारे स्वरूपों की व्याख्या की गई है उन्हें माँ दुर्गा, माँ काली, माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी और राधा रानी के भी रूप में वर्णन किया गया है। जिस विंधेश्वरी माता को स्वयं भगवान शिव और विष्णु भी पूजनीय मानते हैं उसे माता की पूजा और आराधना से भक्त हर तरह की भौतिक सुखों का भोगी होता है और उसके जीवन में कभी भी धन संपत्ति और यश की कोई कमी नहीं होती। माँ की कृपा पाने के लिए चालीसा एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। जो माता विंधेश्वरी के चालीसा का पाठ अपने दिनचर्या में शामिल करता है उसे कभी भी किसी प्रकार की कोई दुख नहीं घेर सकता।
श्री विंधेश्वरी चालीसा के लाभ
श्री विंधेश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa) के पाठ से माता विंधेश्वरी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और भक्त हमेशा सदाचार के मार्ग पर चलकर अपने तकलीफों से दूर होता हैं।
माता विंधेश्वरी की कृपा से की निसंतान दंपति को गुणवान संतान की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है।
जो भी माता विंधेश्वरी के चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन में किसी भी तरह का रोग नहीं आता और उसका सदा कल्याण होता है।
माता विंधेश्वरी माता लक्ष्मी के रूप में अपने भक्त के घर में कभी भी गरीबी आने नहीं देती और माता दुर्गा के रूप में सभी नकारात्मकता को समाप्त करती है।
जो व्यक्ति सच्चे और साफ मन से माता विंधेश्वरी की चालीसा का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएँ और इच्छाएँ पूरी होती है और उसका जीवन सदैव उन्नति के मार्ग पर बना रहता है।
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