Shri Gayatri Chalisa | श्री गायत्री चालीसा

माँ गायत्री स्वरुप सरस, मोहक, और अनुपम हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति भय, चिंता, क्रोध, और कर्ज से मुक्त हो जाता है। माँ गायत्री धैर्य, साहस, और ऊर्जा की देवी हैं, जो अपने भक्तों को प्रदान करती हैं। उनकी चालीसा का पाठ करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और भक्त को सुख-शांति मिलती है। माँ की कृपा से व्यक्ति स्वस्थ, सुंदर, धैर्यशील, और प्रसन्नचित्त बनता है।

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) के नियमित पाठ से भक्तों के दुख दूर होते हैं, जीवन की चुनौतियों से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में आनंद बना रहता है। इस चालीसा का जाप करने से हम मां गायत्री को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस अभ्यास के माध्यम से, हम माँ गायत्री से समृद्धि लाने और हमारे सभी दुखों और अभावों को दूर करने की इच्छा व्यक्त करते हैं। इस आधुनिक युग में माँ गायत्री को पापों का नाश करने वाली एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में माना जाता है।

॥ श्री गायत्री चालीसा ॥

॥ दोहा ॥

हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥

जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥

॥ चालीसा ॥

भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी । गायत्री नित कलिमल दहनी ॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता । इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा । सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी । स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला । शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई । सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया । निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई । तरै सकल संकट सों सोई ॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली । दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें । जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता । तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं । कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै । आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी । काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते । तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे । जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी । जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना । तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा । तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई । पारस परसि कुधातु सुहाई ॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई । माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे । सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता । पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी । तुम सन तरे पतकी भारी ॥

जापर कृपा तुम्हारी होई । तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें । रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा । नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी । नासै गायत्री भय हारी ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें । सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें । यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई । अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी । विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी । तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें । सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी । लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता । सब समर्थ गायत्री माता ॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी । आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें । सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ । धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना । जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

श्री गायत्री चालीसा करने की विधि

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • पाठ करने से पहले स्नान आदि कर्मों से खुद को पवित्र कर लें.
  • गायत्री चालीसा पाठ करने से पहले साफ़ और सूती कपड़े पहनें.
  • कुश या चटाई पर बैठकर पाठ करें.
  • तुलसी या चंदन की माला का इस्तेमाल करें.
  • ब्रह्ममुहूर्त में यानी सुबह पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पाठ करें और शाम को पश्चिम दिशा में मुंह करके पाठ करें.
  • मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए.
  • घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर गायत्री माता का ध्यान करते हुए पाठ करें.

श्री गायत्री चालीसा के महत्व

गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) भक्तों को भय से मुक्ति और आंतरिक शांति की भावना प्रदान करता है। माना जाता है कि नियमित पाठ से चिंताओं और क्रोध को नियंत्रित करने और उस पर काबू पाने में मदद करता है। नियमित पाठ करने से आपके जीवन से आलस्य, पाप और अज्ञानता दूर हो जाती है। गायत्री मंत्र का जाप न केवल पीड़ितों को उपचार और कल्याण प्रदान करता है, बल्कि शांति और मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

निसंतान दंपत्तियों को इस चालीसा के समर्पित पाठ से पितृत्व का आशीर्वाद मिलता है। इस चालीसा का जाप करने से मन ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित हो जाता है।

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