Maa Kali Chalisa (माँ काली चालीसा): अपार शक्तियों की उपासना

देवी काली की शक्ति बड़े से बड़े शत्रु में भी भय उत्पन्न कर देती है। जब चुनौतियों का सामना करना पड़े, तो काली माता की शरण लेने से हमारे प्रयासों में सफलता सुनिश्चित होती है। काली माता को देवी दुर्गा की सबसे शक्तिशाली रूप में पूजा जाता है। काली माता की पूजा और काली चालीसा का पाठ करने से उनके भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

देवी काली को प्रसन्न करने और उनसे आशीर्वाद पाने का सबसे प्रभावी तरीका काली चालीसा का नियमित पाठ है, जो 40 छंदों में लिखित है। देवी काली के भक्त यह अनुष्ठान प्रतिदिन कर सकते हैं, विशेष रूप से नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान। माँ काली चालीसा (Kali Chalisa) का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति बढ़ती है, नकारात्मकता दूर रहती है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, धन और खुशहाली आती है।

Maa Kali Chalisa (माँ काली चालीसा)
Maa Kali Chalisa (माँ काली चालीसा)

माँ काली चालीसा (Maa Kali Chalisa Lyrics in Hindi)

॥दोहा॥

जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥

॥ चौपाई ॥

अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥

अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥

भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥

दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥

सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥

अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥

भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥

महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥

पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥

शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥

तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥

रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥

नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥

कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥

महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥16॥

भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥

आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥

कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥

ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥

सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥

त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥

खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥

रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥

तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥

ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥

तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥

बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥

करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥

तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥

शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥

मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥

दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥

संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥

प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥

काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥

दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥

करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥

सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥

॥दोहा॥

प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥

काली चालीसा पढ़ने की विधि

माँ काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ करने की विधि बहुत सरल होती है, इसके पाठ करने की विधि निम्नलिखित है:

  • स्नान करने के बाद शान्त वातावरण में आसनी बिछा के बैठ जाए।
  • माँ काली का मूर्ति या चित्र वेदी पर रख के उन्हे लाल फूल अर्पित करें।
  • चित्र के सामने एक शुद्ध घी का दीपक जलाए।
  • माँ काली को प्रसाद के रूप में सफेद मिठाई अर्पित करे, साथ ही शादीशुदा स्त्री माँ को सिंदूर चढ़ाए।
  • माँ काली का आह्वान करें और ॐ ऐं क्रीं क्लीं कालिकायै स्वाहा मंत्र से पाठ शुरू करें।
  • उसके बाद पूरे चालीसा का पाठ करें और माँ काली से प्राथना करें और चढ़ाए गए प्रसाद को दूसरों में बाट कर खुद भी ग्रहण करें।

काली चालीसा का महत्त्व

माँ काली के चालीसा का पाठ करने से भक्त को की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। चालीसा के पाठ से मानवीय जीवन में आने वाली संघर्षों का सामना और उनमे सफल होने की शक्ति मिलती है। अगर कोई भक्त माँ काली के चालीसा का नियमित रूप से पाठ करता हैं तो उसके जीवन में सकारात्मकता और खुशियों की वृद्धि होती है, इस चालीसा के पाठ से भक्त हर तरह की कष्टों से मुक्ति पाता है और उसका घरेलू जीवन सुख-शांति से भर जाता हैं।

काली चालीसा से होने वाले लाभ

काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ करने के लाभ:

  • शक्ति के रूप में पूजे जाने वाली माँ काली के चालीसा का पाठ मनुष्य को साहस और शक्ति प्रदान करता है खास कर जो स्त्री इस चालीसा का पाठ करती है वह माँ काली की तरह अंदर से साहसी होती चली जाती है।
  • माँ काली के चली से का नियमित पाठ करने से भक्तों की मनोदशा मैं सुधार आता है और उनके सारे दुख और कष्ट टल जाते हैं।
  • इस चालीसा के पाठ से मनुष्य के जीवन और उसके घर में सदैव भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी के रूप में माँ काली जिन्हें माँ पार्वती का ही रूप माना गया है, उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और व्यक्ति अपने जीवन में संपूर्ण वैभव और यश प्राप्त करता है।
  • जो साधक सिद्धि की कामना करते हैं उनके लिए काली चालीसा का विशेष मान है क्योंकि हर प्रकार की सिद्धियाँ माँ काली के ही अनुष्ठान से समाप्त होती है इसीलिए ऐसे लोगों को प्रतिदिन काली चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  • चालीसा के प्रतिदिनी पाठ से हर प्रकार की शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है और भक्त सदेव एक स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।

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